डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने स्पेन के मैड्रिड में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ बातचीत के दौरान एक संवेदनशील प्रश्न का सामना किया: “भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है?” कनिमोझी ने उत्तर दिया, “भारत की राष्ट्रीय भाषा एकता में विविधता है।” उनका यह जवाब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और व्यापक सराहना प्राप्त हुई।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब डीएमके केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित तीन-भाषा सूत्र का विरोध कर रही है। तमिलनाडु सरकार का मानना है कि हिंदी को थोपना क्षेत्रीय भाषाओं के लिए हानिकारक है।
कनिमोझी के इस बयान ने भारत की भाषाई विविधता और संघीय संरचना की महत्ता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर किया है। उनकी टिप्पणी ने भारत में “राष्ट्रीय भाषा” की अवधारणा पर नई चर्चा को जन्म दिया है, क्योंकि संविधान में कोई एक राष्ट्रीय भाषा निर्दिष्ट नहीं है।
यह घटना भारत की बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गई है।