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ओवैसी के साथ बंगाल का चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं सिद्दिकी, चुनाव में फुरफुरा शरीफ की होगी एंट्री!

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कोलकता| ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने गत तीन जनवरी को हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ के धार्मिक नेता अब्बास सिद्दिकी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद इस बात की अटकलें लगी हैं कि सिद्दिकी और ओवैसी आगामी विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ सकते हैं. हालांकि, साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बारे में दोनों नेताओं ने खुलकर कुछ नहीं कहा है. फुरफुरा शरीफ के धार्मिक नेता के रूप में अब्बास की मुस्लिम समुदाय पर अच्छी पकड़ मानी जाती है.

वहीं, बिहार चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद ओवैसी की नजर पश्चिम बंगाल के चुनाव पर है. बंगाल चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद राज्य में ओवैसी का यह पहला दौरा है. एआईएमआईएम नेता बिहार की तरह यहां भी छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहते हैं. ओवैसी की बंगाल में दस्तक टीएमसी को अच्छी नहीं लग रही है. वह उन्हें भाजपा की बी टीम बताकर उन पर हमला कर रही है. आइए जानते हैं कि हुगली जिले का फुरफुरा शरीफ केंद्र इस बार चुनाव में क्यों अहम हो गया है.

क्या है फुरफुरा शरीफ
फुरफुरा शरीफ हुगली जिले में. बंगाली मुसलमान इस केंद्र को अपनी आस्था के रूप में देखते हैं. मुसलमानों के बीच इस धार्मिक केंद्र का काफी प्रतिष्ठा है. यहां हजरत अबू बकर सिद्दीकी और उनके पांच बेटों की मजार भी है. अबू बकर सिद्दिकी समाज सुधारक माने गए. सिद्दकी के प्रशंसक लाखों की संख्या में बताए जाते हैं. हजरत अबू बकर की याद में यहां हर साल उर्स का आयोजन होता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. इस केंद्र के पीरजादा को अबू बकर का ही वंशज माना जाता है. पीर का वंशज होने के नाते पीरजादों का दरगाह के प्रति आस्था रखने वालों के बीच बहुत ही सम्मान होता है.

अब्बास सिद्दिकी पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों के फुरफुरा शरीफ संप्रदाय के एक बड़े धर्म गुरु हैं. विधानसभा चुनावों से पहले वह अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके हैं.
सिद्दिकी कह चुके हैं कि राज्य के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 60 से 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बंगाल में विधानसभा की 294 सीटे हैं.
हुगली में गत तीन जनवरी को सिद्दिकी और औवैसी के बीच बैठक हुई. सिद्दिकी और ओवैसी साथ मिलकर लड़ सकते हैं चुनाव.
सिद्दिकी का दावा है कि विधानसभा चुनाव के लिए वह पहले 10 क्षेत्रीय मुस्लिम, दलित एवं आदिवासी दलों को अपने साथ ला चुके हैं.
सिद्दिकी का कहना है कि चुनाव के लिए उनकी बातचीत लेफ्ट एवं कांग्रेस के साथ भी चल रही है.
सिद्दिकी एक युवा धार्मिक नेता हैं और मुस्लिम वर्ग के युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है. सोशल मीडिया में भी उनकी अच्छी पहुंच मानी जाती है.
बंगाल में विधानसभा की कम से कम 90 ऐसी सीटें हैं जहां के चुनाव नतीजों को मुस्लिम प्रभावित करते हैं. राज्य में करीब 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं.
सिद्दिकी ने सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है.
मुस्लिम धार्मिक नेता का दावा है कि बंगाल के साउथ एवं नॉर्थ 24 परगना जिलों में उनकी अच्छी पकड़ है. हालांकि सिद्दिकी के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है जो उनके खिलाफ जा सकता है.
सिद्दिकी-ओवैसी का गठबंधन यदि चुनाव में मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ खींचता है तो उसका सीधा नुकसान टीएमसी को होगा. जबकि भाजपा फायदे की स्थिति में हो सकती है.

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