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बीजेपी एमएलए यौन शोषण-ब्लैकमेलिंग ममला: आरोपित महिला ने बार-बार बदले बयान, जल्द चार्जशीट दाखिल कर सकती है पुलिस

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बीजेपी विधायक महेश नेगी

देहरादून| उत्तराखंड की राजनीति को गरमाने वाले बीजेपी विधायक महेश नेगी सेक्स स्कैंडल केस में पुलिस जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर सकती है. पुलिस सूत्रों के अनुसार जांच अंतिम चरण में है और इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आ सकती हैं. मिली जानकारी के अनुसार अब तक महिला के दावों में दम नज़र नहीं आया है और बार-बार बयान बदलने की वजह से वह मुश्किल में आ सकती है. दूसरी ओर विधायक की पत्नी ने ब्लैकमेलिंग के सबूत पुलिस को दिए हैं और वह केस का टर्निंग पॉएंट हो सकता है.

बता दें कि 13 अगस्त को भाजपा विधायक महेश नेगी की पत्नी ने देहरादून पुलिस को शिकायत की थी कि एक महिला ने विधायक को यौन शोषण केस में फंसाने की धमकी देते हुए 5 करोड़ रुपये की डिमांड की है.

इस पर पुलिस ने महिला को 14 अगस्त को थाने में बुलाया और पूछताछ की. इसके बाद आरोपित महिला ने 16 अगस्त को ब्लैकमेलिंग मामले में आरोपित विधायक पर यौन शोषण का आरोप लगाया और दावा किया कि उसका बच्चे के पिता भाजपा विधायक महेश नेगी हैं.

इस केस में पुलिस ने आरोपित महिला को करीब 6 बार थाने में बुलाकर उसके बयान दर्ज किए. साथ ही उसकी मां और भाभी के भी कलमबद्ध बयान दर्ज किए. पुलिस ने इस मामले में आरोपित महिला के पति को बुलाया लेकिन वह बयान दर्ज करवाने नहीं आए.

ब्लैकमेलिंग मामले में पुलिस ने विधायक से दो बार पूछताछ की और विधायक की पत्नी के साथ ही विधायक के बेटे के भी कलमबद्ध बयान दर्ज किए. विधायक की पत्नी ने ब्लैकमेलिंग के साक्ष्य पुलिस को दिए जिनमें महिला ने पैसों की मांग की है.

पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपित महिला ने पूछताछ के दौरान लगातार बयान बदले. महिला ने यौन शोषण मामले पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज न करने को लेकर कोर्ट में 156-3 के तहत मुकदमा दर्ज करवाने की मांग रखी और जो तथ्य दिए अब पुलिस उन्हीं को उसके बयान के तौर पर ले रही है. इस मामले में देहरादून के एसएसपी डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि तफ्तीश अंतिम चरण में है और पुलिस जल्द ही जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी.

इस मामले में बाल आयोग ने भी पुलिस से बच्चे और पिता के डीएनए मामले में रिपोर्ट मांगी थी, जो पुलिस ने आयोग को दे दी हैं. आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि पुलिस के अनुसार रिपोर्ट में आया था कि जिस अस्पताल का आरोपित महिला ने नाम पुलिस को बताया था उसमें तो डीएनए जांच हुई ही नहीं थी. ऐसे में सवाल उठता है कि जब डीएनए जांच हुई ही नहीं महिला ने क्यों कहा कि बच्चा उसके पति का नहीं है?

यौन शोषण के आरोप में महिला ने भाजपा विधायक के ख़लाफ़ महिला आयोग में भी एप्लिकेशन दी थी लेकिन आयोग के लगातार बुलाये जाने पर भी आरोपित महिला आयोग के सामने भी अपनी बात रखने के लिए नहीं पहुंची.

अब आरोपित महिला ने हाईकोर्ट में एक अपील की है जिसमें उसने अपनी गिरफ़्तारी पर स्टे लगाने के साथ ही विधायक और बच्चे का डीएनए मैच करवाने की मांग की है. इस मांग पर अभी कोर्ट में सुनवाई होनी है.

साभार-न्यूज़ 18

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