पंजाब: सिद्धू-सीएम चन्नी को यूपीएससी ने दिया बड़ा झटका! पढ़े पूरी खबर

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को डीजीपी बहाल किए जाने पर गहरा झटका लगा है. सिद्धू के चहेते सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय और चन्नी के चहेते इकबाल प्रीत सिंह सहोता का नाम यूपीएससी के पैनल से बाहर हो गया है.

अब पंजाब के मुख्यमंत्री को पैनल द्वारा सुझाए गए तीन नामों से किसी एक नाम को चुनना होगा. इस तरह पंजाब में जल्द ही एक महीने के भीतर पंजाब में तीसरी बार नए डीजीपी की नियुक्ति होगी.

दरअसल, वर्तमान में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को डीजीपी बनाए जाने के पंजाब सरकार के फैसले से असहमति जताते हुए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने नए नामों की सिफारिश की है.

यूपीएससी ने 1987 बैच के अधिकारियों दिनकर गुप्ता , वीके भावरा और 1988 बैच के प्रबोध कुमार का नाम राज्य में शीर्ष पुलिस पद के लिए पैनल में शामिल किया है. राज्य सरकार को अब इन तीनों अधिकारियों में से किसी एक को डीजीपी नियुक्त करना होगा.

सूत्रों के मुताबिक दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जता चुके हैं. इसलिए बीके भावरा का पंजाब में नया डीजीपी बनना तय माना जा रहा है. यूपीएससी ने कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के चहेते चट्टोपाध्याय का नाम डीजीपी पैनल से ही बाहर कर दिया है.

वहीं, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के चहेते इकबाल प्रीत सिंह सहोता भी इस पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं. हालांकि पंजाब सरकार यूपीएससी पैनल के खिलाफ नियुक्ति में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.

दरअसल, राज्य के डीजीपी की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट की निर्धारित प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया के तहत यूपीएससी का एक पैनल तीन अधिकारियों के नाम को शॉर्टलिस्ट करता है. इन तीन अधिकारियों में राज्य को एक अधिकारी चुनना होता है.

यूपीएससी समिति ने मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी के नेतृत्व में पंजाब के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ तीन घंटे की बैठक की. इसके बाद तीन अधिकारियों के नामों की घोषणा की गई.

यूपीएससी ने कहा, तकनीकी रूप से कट-ऑफ तारीख 5 अक्टूबर थी क्योंकि उसी दिन तत्कालीन डीजीपी गुप्ता ने पद छोड़ दिया था. इस मुद्दे पर यूपीएससी पैनल और राज्य सरकार के बीच टकराव चल रहा था.

मुख्य समाचार

Topics

More

    Related Articles