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सीबीआई को मिली बड़ी कामयाबी, दो दशक बाद भारत लाई गई मोनिका कपूर

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बुधवार 9 जुलाई को एक बड़ी कामयाबी हासिल की. दरअसल सीबीआई टीम वर्ष 2002 के आयात-निर्यात धोखाधड़ी मामले में फरार चल रहीं मोनिका कपूर को भारत लाने में सफल रही है. सीबीआई कानूनी प्रक्रिया के साथ मोनिक कपूर को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया है. आइए जानते हैं क्या है वह मामले जिसके तहत मोनिक कपूर को भगोड़ा घोषित किया गया था.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि मोनिका कपूर, जो मेसर्स मोनिका ओवरसीज की प्रोप्राइटर थीं, ने अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर वर्ष 1998 में फर्जी निर्यात दस्तावेजों के आधार पर 2.36 करोड़ मूल्य के शुल्क-मुक्त सोने के आयात के लिए 6 प्रतिनिधि लाइसेंस प्राप्त किए थे.

इन लाइसेंसों को उन्होंने मेसर्स दीप एक्सपोर्ट्स, अहमदाबाद को प्रीमियम पर बेच दिया, जिससे सरकारी खजाने को 1.44 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. इस मामले में सीबीआई ने 31 मार्च 2004 को आरोप पत्र दायर किया था, और दो सह-अभियुक्तों राजन और राजीव को वर्ष 2017 में अदालत ने दोषी ठहराया था, लेकिन मोनिका कपूर 2006 से फरार थीं और उन्हें अपराधी घोषित कर दिया गया था.

जारी किया था रेड कॉर्नर नोटिस
सीबीआई ने उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस और गिरफ्तारी वारंट जारी करवाए और 2010 में अमेरिका से प्रत्यर्पण की मांग की. लगभग 15 वर्षों के कानूनी प्रयास और समन्वय के बाद, सीबीआई की एक टीम ने अमेरिका जाकर मोनिका कपूर को हिरासत में लिया और आज भारत लेकर आई.

सीबीआई ने इसे न्याय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बड़ी जीत बताया है. अब मोनिका कपूर को अदालत में पेश किया जा रहा है, जहां वह लंबित मुकदमे का सामना करेंगी.

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