Home उत्‍तराखंड उत्तराखंड का दिव्यांग सलाहकार बोर्ड होगा भंग, दो साल से अधिकारियों...

उत्तराखंड का दिव्यांग सलाहकार बोर्ड होगा भंग, दो साल से अधिकारियों ने नहीं ली मीटिंग

0
दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की मीटिंग


देहरादून| उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली हमेशा से सवालों के घेरे में रही है. स्कॉलरशिप स्कैम के बाद तो हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि अधिकारी किसी भी काम को करने में कन्नी काटते नजर आते हैं. राज्य में दिव्यांगों के हित के लिए कागजों में बनाए गये आयोग की कोई सुध लेने वाला नहीं है. राज्य में दिव्यांगों के कल्याण के लिए राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड के गठन के अगल महीने अक्टूबर में दो साल पूरे हो जाएंगे. लेकिन आलम यह है कि इस आयोग कि अभी तक बैठ ही नहां हुई है. इसके कैसे पता चलेगा कि आखिर दिव्यांगों के लिए कौन सी कल्याणकारी योजनाएं हैं और उनके विकास के लिए किस तरह के काम करने हैं.

आयोग के सदस्यों का आरोप है कि नियम के अनुसार हर 6 महीने में एक बार राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की बैठक का प्रावधान है, लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की एक भी बैठक नहीं हो पाई है. जबकि बोर्ड के सदस्यों ने कई बार बैठक कराने की मांग बोर्ड के अध्यक्ष समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य से की है. कई बार मांग करने के बावजूद भी बोर्ड की बैठक तय समय पर नहीं बुलाई जा रही है, जिस पर अब सभी बोर्ड सदस्यों ने नाराजगी जताई है.

बोर्ड के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इसे लेकर ज्ञापन भी सौंपा था. सदस्यों ने बोर्ड भंग करने और सदस्य पद से इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी जिसका मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री के सलाहकार धीरेन्द्र पंवार ने बोर्ड सदस्य अमित डोभाल से बात कर जल्द बोर्ड बैठक कराने और बोर्ड का एक पूर्णकालिक उपाध्यक्ष बनाने का आश्वासन दिया भी दिया था, लेकिन अब भी हालत जस के तस हैं, न मीटिंग हुई न ही दिव्यांगों के हित का ध्यान रखा जा रहा है. इसके बाद सदस्यों ने फिर सामूहिक रूप से इस्तीफे के मूल में दिखाई दे रहे हैं. ऐसा करने से आयोग भंग हो जाएगा.

उत्तराखंड में दिव्यांग सलाहकार बोर्ड का गठन दिव्यांगों की बेहतरी के लिए किया गया था. आयोग दिव्यांगों की सुविधा पेंशन, प्रमाणपत्र वगैरह में आ रही परेशानियों को दूर करने में मदद करेगा. आयोग दिव्यांगों को ग्रामीण क्षेत्र, जिला पंचायत, विधानसभा, लोकसभा में मजबूती से दावेदारी और भागीदारी पर जोर देगा. वहीं आयोग के सदस्यो का कहना है कि जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आयोग की स्थापना की गई थी वह कछ भी नहीं हो रहा है. क्योंकि आयोग की बैठक होने के बाद ही आगे काम की रूपरेखा बनाइ जाएगी.

साभार-न्यूज़ 18

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version