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बिना नाम के सालों से ट्रेन का बसेरा है ये स्टेशन, ट्रेन रुकने पर यात्री हो जाते हैं परेशान

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फोटो साभार -इन्टरनेट

दुनिया में मौजूद हर चीज की एक पहचान होती है. ये पहचान उसके नाम से की जाती है. चाहे इंसान हो या कोई चीज, हर किसी का एक नाम होता है और इसी नाम से उसे आगे पहचाना जाता है. अगर कोई किसी जगह पर जाता है तो उसके बारे में भी नाम के जरिये ही बताया जाता है.

भारत में हर छोटी सी जगह का एक नाम है. चाहे वो कोई गांव हो या क़स्बा. अगर कोई कहीं जाता है तो वो उसी नाम की जरिये जगह की जानकारी बाकी लोगों को देता है. अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे होते हैं, तो अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले वो कई दूसरे डेस्टिनेशन को क्रॉस करते हैं. रेलवे स्टेशन के नाम से वो उस जगह के बारे में दूसरों को बताते हैं.

भारत में जिस भी स्टेशन से आप जाएंगे, तो पाएंगे कि उसका कोई एक नाम है. लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि भारत में एक ऐसा स्टेशन है, जिसका कोई नाम नहीं है तो? शायद आपको लगेगा कि हम मजाक कर रहे हैं लेकिन आपको बता दें कि भारत के वेस्ट बंगाल में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जिसका कोई नाम नहीं है. भारत जहां वर्ल्ड में रेलवे नेटवर्क के मामले में चौथे नंबर पर है, वहां एक ऐसा स्टेशन है जिसका कोई नाम नहीं है.

इस राज्य में है मौजूद
जिस रेलवे स्टेशन की हम बात कर रहे हैं वो भारत के वेस्ट बंगाल में है. यहां के बर्दवान में स्थित एक ऐसा स्टेशन है जो बेनाम है. शहर से 35 किलोमीटर दूर रैना नाम के गांव में इस रेलवे स्टेशन को बनाया गया था. 2008 में इसका निर्माण किया गया था तब से लेकर अब तक इसका कोई नाम नहीं है. 2008 से पहले रैनानगर नाम से इस स्टेशन को जाना जाता था.

इसलिए नहीं पड़ा कोई नाम
रैनानगर रेलवे स्टेशन से जाना जाने वाला ये स्टेशन बाद में बेनाम हो गया. वजह बना दो गांवों के बीच चलने वाला मतभेद. रैना और रैनानगर के बीच काफी समय से मतभेद चलता आया है. ये स्टेशन रैना गांव की जमीन पर था. लेकिन इसका नाम रैनानगर रखा गया. इसी को लेकर दोनों में लड़ाई होने लगी. बाद में रेलवे स्टेशन पर मौजूद सकते नेम बोर्ड को हटा दिया गया. तब से लेकर अब तक इस स्टेशन का कोई नाम नहीं है. हालांकि, अभी भी इस स्टेशन का टिकट रैनानगर एक नाम से काटा जाता है.

साभार-न्यूज 18

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