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उत्तराखण्ड के पहाड़ों में होगी कश्मीरी केसर की खेती, युवाओं को मिलेगा रोजगार

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केसर की खेती


देहरादून| जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान ने पहाड़ में केसर उत्पादन का सफल परीक्षण किया है. संस्थान ने 2018 में परीक्षण के रूप में कश्मीर से लाकर केसर की बुआई की थी, जिसका बेहतर उत्पादन देखने को मिला है. संस्थान ने बताया कि केसर के बल्ब पहाड में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इससे किसानों को कई गुना लाभ होने की उम्मीद है.

जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक आर एल रावत ने कहा कि संस्थान ने परीक्षण के तौर पर कश्मीर से केसर मगाया था. कश्मीर में भी संस्थान किसानों के साथ जुड़कर केसर का उत्पादन करवा रहा है. संस्थान का कहना है कि राज्य में लौटे लाखों प्रवासियों के लिए केसर का उत्पादन मुख्य व्यवसाय हो सकता है. इसमें अधिक लाभ किसान को मिलता है और लागत भी कम है. इसका सुझाव पर्वतीय राज्यों को भी दिया जायेगा.

पिछले दो सालों से शोध में लगे संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक भी मानते हैं कि राज्य में यह प्रयोग सफल रहा है. अब गांवों में भी केसर का उत्पादन हो सकता है, जिसमें अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. अभी तक कश्मीर में ही केसर का उत्पादन अधिक होता है.राज्य में लौटे प्रवासियों को सभी संस्थान और राज्य सरकार स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही है. जो युवा कोरोना के कारण वापस अपने गांवों में लौटे हैं वह गांवों में ही रोजगार करें जिससे पहाड़ के गांव आबाद रहेंगे और लोग गांवों में ही स्वरोजगार करेंगे. अगर पहाड़ के ही सैकड़ों गांवों में केसर की खेती होगी तो युवाओं को अच्छा मुनाफा हो सकता है.

अल्मोड़ा जिले में ही 50 हजार से अधिक प्रवासी कोरोना संक्रमण में अपने घरों को लौटे हैं. अन्य पहाड़ी जिलों का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहा हजारों की संख्या में प्रवासी अपने घरों में बेरोजगार बैठे हैं. कुछ रोजगार के लिए मनरेगा जैसी योजनाओं में काम कर रहे हैं.

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