Home उत्‍तराखंड केजरीवाल के राजनीतिक सपने ने उत्तराखंड में भाजपा-कांग्रेस को भेजा ‘वनवास’

केजरीवाल के राजनीतिक सपने ने उत्तराखंड में भाजपा-कांग्रेस को भेजा ‘वनवास’

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दिल्ली के सीएम केजरीवाल


आइए आज आपको देश की राजधानी दिल्ली लिए चलते हैं. कुछ दिनों पहले तक कोरोना महामारी के बढ़ते मरीजों से दिल्ली में जबरदस्त डर का माहौल हो गया था. राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार इस महामारी से निपटने के लिए हाथ खड़े कर दिए थे और केंद्र की मोदी सरकार से सहायता भी मांगी थी. लेकिन अब दिल्ली इस महामारी के संकट से उबर चुकी है, इससे उत्साहित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिर अपनी ‘एलान-ए-राजनीति’ शुरू कर दी है. केजरीवाल अब उत्तराखंड यानी (देवभूमि) पर अपनी पार्टी का परचम लहराने का एक ‘ड्रीम सपना’ देखा है. केजरीवाल के इस राजनीतिक सपने ने भाजपा-कांग्रेस की उम्मीद भी खत्म कर दी है.

दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने एलान किया कि हम उत्तराखंड में सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. यही नहीं केजरीवाल ने कहा कि उत्तराखंड में फरवरी वर्ष 2022 (डेढ़ वर्ष के बाद) होने जा रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ‘वनवास’ में भेज देंगे. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने दिल्ली से कांग्रेस और भाजपा का सफाया कर दिया है, वैसे ही इन दोनों पार्टियों का देवभूमि से भी सफाया करेंगे. केजरीवाल ने कहा कि हमने उत्तराखंड में सर्वे कराया, उसमें 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हमें उत्तराखंड में चुनाव लड़ना चाहिए, तब हमने तय किया कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में चुनाव लड़ेगी.

यही नहीं केजरीवाल ने अपने सर्वे में यह भी बता दिया कि देवभूमि के लोगों ने कांग्रेस और भाजपा की उम्मीदें भी खत्म कर दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उत्तराखंड में दिल्ली मॉडल अपनाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी राज्य में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. यहां हम आपको बता दें कि वर्ष 2017 में हुए उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका था.


भाजपा बोली, अरविंद केजरीवाल हमें टस से मस नहीं कर सकते हैं
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उत्तराखंड से सभी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने के एलान के बाद भारतीय जनता पार्टी भी आक्रमक हो गई है.‌ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का दावा है कि ‘आप’ के उत्तराखंड में चुनाव लड़ने से बीजेपी को फायदा पहुंचेगा क्योंकि भाजपा विचारधाराओं से जुड़ी पार्टी है और कोई उसे टस से मस नहीं कर सकता. लेकिन आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने से कांग्रेस और अन्य दलों का वोट कटेगा.

बंशीधर भगत ने कहा कि बीजेपी का जो जनसंपर्क है उसे कोई नहीं काट सकता है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप को नसीहत देते हुए भगत ने कहा कि दिल्ली की बात कुछ और है और उत्तराखंड की कुछ और. दिल्ली में कुछ गलतियां हुई लेकिन उत्तराखंड में ये गलतियां नहीं होंगी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2022 में एक बार फिर से राज्य की सत्ता पर हम ही विराजमान होंगे. दूसरी ओर सीएम केजरीवाल के उत्तराखंड प्रेम पर कांग्रेसी भी आग बबूला है.

कांग्रेस ने कहा कि आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में चुनाव लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कोई भी पार्टी उत्तराखंड आकर चुनाव लड़े इससे कांग्रेस के वोट शेयर पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि पहले की तुलना में और ज्यादा ही बढ़ेगा. धस्माना ने आगे कहा कि कहा कि आम आदमी पार्टी कहा कि आम आदमी के उत्तराखंड में आने से उन्हें कोई घबराहट या डर नहीं है और न ही कोई चुनौती है.


उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस दो ही दलों की सरकार आती-जाती रही है
9 नवंबर वर्ष 2000 को उत्तराखंड के गठन होने के बाद भाजपा और कांग्रेस की सरकारें ही बारी-बारी से राज्य की सत्ता पर काबिज होती रही हैं.‌ देवभूमि की क्षेत्रीय पार्टी यूकेडी यानी उत्तराखंड क्रांति दल का थोड़ा बहुत जनाधार देखा जा सकता है, लेकिन अभी वह सत्ता का स्वाद नहीं चख सकी है. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का उत्तराखंड में जनाधार नहीं है. राज्य में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच अभी तक चुनाव में मुख्य टक्कर रहती है. उत्तराखंड की पॉलिटिक्स में आम आदमी पार्टी की एंट्री को बीजेपी और कांग्रेस अपना-अपना फायदा बता रहे हैं.

बता दें कि मौजूदा वक्त में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के पास तीन चौथाई सीटें हैं. उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस की जड़े दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में बनी हुई है. आम आदमी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा राज्य अपने पैर जमाना. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पार्टी में अरविंद केजरीवाल ही ऐसे नेता हैं जिन्हें स्टार प्रचारक माना जाता है. देवभूमि में ऐसे कई इलाके हैं जहां शायद केजरीवाल चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं पहुंच पाएंगे. केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का जनाधार मुख्य रूप से दिल्ली, हरियाणा और पंजाब तक ही सीमित है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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