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मकर संक्रांति विशेष: मकर संक्रांति से सर्दियों की विदाई और बसंत ऋतु की शुरू हो जाती है दस्तक

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देश में उल्लास और उमंग छाया है. वर्ष के पहले त्योहार के आगमन पर लोग खुशियों में सराबोर हैं. आज एक ऐसा लोकप्रिय त्योहार है जो इस व्यस्तता भरे माहौल में सुकून देता है. जी हां हम बात कर रहे हैं मकर संक्रांति की. यह लोकप्रिय त्योहार, जिसे लोहड़ी के एक दिन बाद मनाया जाता है.

यह पर्व पूरे देश भर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. मौसम की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण माना जाता है, इसी दिन से सर्दियों की विदाई और बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. आपको बता दें कि मकर संक्रांति पर्व के बाद से ही मौसम में भी परिवर्तन आना शुरू हो जाता है. बता दें कि बसंत ऋतु वर्ष की एक ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान सुखद रहता है.

भारत में यह फरवरी से मार्च तक होती है. इस ऋतु की विशेषता है मौसम का गरम होना, फूलों का खिलना, पौधों का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलना. भारत का एक मुख्य त्योहार होली भी बसंत ऋतु में मनाई जाती है. इस वर्ष मकर संक्रांति पर विशेष योग बन रहा है जो बेहद फलदायी बताया है.

आज सूर्य के साथ पांच अन्य ग्रह (सूर्य, शनि, बृहस्पति, बुध और चंद्रमा) मकर राशि में विराजमान हुए हैं. सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही एक माह से चला आ रहा खरमास भी आज समाप्त हो जाता है.

बता दें कि खरमास में सभी मांगलिक कार्यों की मनाही होती है इसलिए मकर संक्रांति से खरमास समाप्त होते ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं. यह त्योहार देवता सूर्य (भगवान सूर्य) को समर्पित है और यह सूर्य के पारगमन के पहले दिन को मकर में चिह्नित करता है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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