जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म में बहुत ही पावन दिन माना जाता है. पूरी में यह यात्रा बड़ी धूमधाम से निकाली जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल पुरी में जगन्नाथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है. इस बार जगन्नाथ यात्रा 1 जुलाई को निकाली जाएगी.
यह यात्रा केवल भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में भी निकाला जाती हैं. ऐसी मान्यता है, कि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा माई के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. यदि आप भी भगवान जगरनाथ रथ यात्रा में शामिल होना चाहते है, तो उससे पहले आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें जरूर जान लेनी चाहिए.
पुरी की जगन्ननाथ रथ यात्रा की कुछ दिलचस्प बातें
1. जगन्नाथ मंदिर में सभी जाति, पंथ और समुदाय के लोग जाकर पूजा कर सकते हैं. उनके लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाई गई हैं.
2. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा माई मंदिर के तीन देवता तीन अलग अलग रथों पर यात्रा करते हैं. नंदीघोष 18 पहियों के साथ, तलध्वज 16 पहिया पर और देवदलन 14 पहियों पर.
3. हर साल प्राथमिक पुजारी के द्वारा आवश्यक निर्देशों का पालन करते हुए पेड़ो के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल करके नए सिरे से रथ का निर्माण किया जाता है. प्रत्येक रथ में आगे की ओर लकड़ी के चार घोड़े लगे होते हैं.
4. जगन्नाथ यात्रा में रहता रथ का शीर्ष मंदिर के आकार का बना होता है. आपको बता दे, 1500 मीटर कपड़े से रथ की छतरियां बनाी जाती है. इसे 15 दर्जी की एक टीम बनाती है. अक्षय तृतीया के दिन से ही रथ बनना शुरू हो जाता है. इसे लगभग 14 बढ़ई मिलकर बनाते है. वह मापने के लिए के हाथ और उंगलियों का इस्तेमाल करते हैं.
5. भक्तों के अनुसार शुरू में रथ यात्रा निकालते समय भगवान हिलने से मना कर देते है. घंटों प्रार्थना करने के बाद रथ जवाब देना शुरू करता है.
6. राजाओं का गणपति वंश प्रतिकात्क रूप से पूरी की सड़कों पर सोने की झाड़ू से सफाई करता है.
7. रथ यात्रा शुरू होने से 1 सप्ताह पहले पूरी मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिया जाता है. ऐसी मान्यता है, कि इस दौरान भगवान को तेज बुखार लगा होता है और उन्हें 1 सप्ताह आराम की जरूरत होती है. जब वह ठीक हो जाते है, तभी यात्रा निकाली जाती हैं.
8. आपको बता दें रथयात्रा के दिन हर वर्ष जरूर बारिश होती है.
9. जानकारों के मुताबिक तीन पीढ़ियों ने मिलकर मंदिर की दीवारों पर ईंटें लगाई हैं.
10. जगन्नाथ मंदिर में झंडा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता रहता है.
11. मंदिर के गुंबद पर झंडा को बदलने के लिए हर दिन एक पुजारी मंदिर की दीवार पर चढ़ता है. आपको बता दें यह 45 मंजिला इमारत की ऊंचाई पर है. गुंबद पर चढ़ने के लिए कोई सुरक्षात्मक व्यवस्था नहीं है. जानकारों के मुताबिक मंदिर पर किसी भी समय या किसी भी दिन किसी प्रकार की किसी भी दिशा से कोई छाया नहीं बनती है.
12. इस मंदिर में धातु से बना सुदर्शन चक्र 1 टन का है. किसी भी दिशा से आप खड़े रहे चक्र हमेशा सीधा ही खड़ा दिखाई देता है.
13. जगन्नाथ मंदिर के गुंबज के ऊपर एक पक्षी भी पर नहीं मारता है.
14. जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन लगभग 200,000 भक्त भगवान के दर्शन करने आते हैं. लेकिन वहां बचे हुए किसी भी भोजन का दंश भी नहीं दिखाई देता है.
15. मंदिर के अंदर प्रवेश करने पर ज्वार भाटा की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती है. लेकिन मंदिर से बाहर निकलते ही ज्वार भाटा की आवाज फिर से सुनाई देने लगती है.
16. पुरी में समुंद्र से ठंडी हवा भूमि से समुद्र की ओर जाती है. आपको बता दें ऐसा बाकी जगहों पर नहीं होता है.
17. पुरी में भगवान को भोग लगाने के लिए सात बर्तनों यानी एक बर्तन के ऊपर एक रखकर खाना बनाया जाता है. आश्चर्य की बात यह है, कि सबसे ऊपर वाला खाना पहले पक जाता है. बाकी बाद में.
18. जानकारों के मुताबिक 14 से 18 साल में साल में देवताओं को एक के ऊपर एक दफनाया जाता है. और नई मूर्तियों से बदल दिया जाता है. इनमें नीम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. आश्चर्य की बात है, कि देवता अपने आप ही विखंडित हो जाते है.
19. भगवान जगन्नाथ जी को भोग लगाने के लिए जो भी प्रसाद बनाया जाता है उसमें स्वाद और सुगंध होता हैं. लेकिन भगवान के आशीर्वाद मिलने के बाद वह महाप्रसाद हो जाता है और उस भोजन का सुगंध दुगना बढ़ जाता हैं.
Jagannath Yatra 2022: पुरी की जगन्ननाथ रथ यात्रा आज से शुरू, जानें इससे जुडी कुछ दिलचस्प बातें
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