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टिकरी के बाद पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर से हटाए बैरिकेड, NH24 खुला!

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फोटो साभार -ANI

गुरुवार रात को दिल्ली पुलिस ने टिकरी सीमा पर लगाए गए अवरोधों को हटाना शुरू कर दिया है जहां किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में सड़क का एक कैरिजवे खुल जाएगा.

टिकरी सीमा पर अवरोधों को हटाने के बाद पुलिस ने दिल्‍ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के धरना स्‍थल पर लगे बैरिकेडिंग को भी हटाना शुरू कर दिया है. दिल्‍ली पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सरकार की तरफ से आदेश है इसलिए हम बैरिकेडिंग हटाकर रास्ता खोल रहे हैं.

यह कदम सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के कुछ दिनों बाद आया है जिसमें किसान संघों ने तर्क दिया था कि दिल्ली की सीमाओं पर नाकेबंदी के लिए पुलिस जिम्मेदार थी. पिछले साल नवंबर में हजारों किसानों ने दिल्ली की सीमा पार करने की कोशिश की थी, इसलिए पुलिस ने सड़कों पर बड़ी-बड़ी कीलें और कंक्रीट के बड़े-बड़े ब्लॉक लगा दिए थे.

टिकरी सीमा पर लगे बैरिकेड्स की आठ लेयर्स में से चार को हटा दिया गया है. हालांकि सीमेंट के बैरिकेड्स अभी भी हैं और यात्रियों के लिए सड़क बंद है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि जेसीबी मशीनें टिकरी बॉर्डर पर नाकेबंदी हटा रही है.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में सिंघू और गाजीपुर सीमा सीमा पर भी इस तरह की कवायद शुरू होने की संभावना है. 26 नवंबर, 2020 से केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए हजारों किसान दिल्ली के तीन सीमा बिंदुओं- टिकरी, सिंघू और गाजीपुर पर डेरा डाले हुए हैं.

टिकरी बॉर्डर पर बृहस्पतिवार रात को हटाए गए अवरोधकों के बारे में पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों के कुछ स्तर को हटा लिया गया है.

उन्होंने कहा कि ऐसा सड़क को यातायात के लिए जल्द ही खोलने के लिए किया गया है. अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘वर्तमान में, सड़कें बंद होने के कारण यातायात की आवाजाही नहीं है. यातायात को धीरे-धीरे शुरू करने जल्द ही बैरिकेड्स को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा.’

सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्टूबर को कहा था कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चित काल के लिए सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते, भले ही किसान संघ और सरकार आरोप-प्रत्यारोप में उलझ गए हों.

जबकि किसान संघों ने आरोप लगाया था कि पुलिस नाकेबंदी के लिए जिम्मेदार थी क्योंकि वह लोगों के बीच मैसेज देना चाहती थी कि सड़क को किसान अवरुद्ध कर रहे हैं. वहीं केंद्र ने कहा कि विरोध के पीछे एक परोक्ष उद्देश्य था.

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