रविवार पीएम नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. यह मन की बात कार्यक्रम की 68वीं कड़ी थी. अपने संबोधन की शुरूआत में पीएम मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार. आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं . कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन, हम सबको मन को छू जाए, वैसा अनुशासन भी है.’
जानिए पीएम मोदी की मन की बात कार्यक्रम की मुख्य बातें
मेरे प्रिय देशवासियो, देश आज जिस विकास यात्रा पर चल रहा है इसकी सफलता सुखद तभी होगी जब हर एक देशवासी इसमें शामिल हो, इस यात्रा का यात्री हो, इस पथ का पथिक हो. इसलिए, ये जरूरी है कि हर एक देशवासी स्वस्थ रहे सुखी रहे और हम मिलकर के कोरोना को पूरी तरह से हराएं. कोरोना तभी हारेगा जब आप सुरक्षित रहेंगे, जब आप “दो गज की दूरी, मास्क जरुरी”, इस संकल्प का पूरी तरह से पालन करेंगे आप सब स्वस्थ रहिये, सुखी रहिये, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अगली ‘मन की बात’ में फिर मिलेंगे- पीएम मोदी
आप के शहर में स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा कोई स्थान हो तो छात्र छात्राओं को वहाँ ले जा सकते हैं . किसी स्कूल के विद्यार्थी ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75 वर्ष में अपने क्षेत्र के आज़ादी के 75 नायकों पर कवितायें लिखेंगे, नाट्य कथाएँ लिखेंगे. आप के प्रयास देश के हजारों लाखों unsung heroes को सामने लायेंगे जो देश के लिए जिये, जो देश के लिए खप गए जिनके नाम समय के साथ विस्मृत हो गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लायेंगे आजादी के 75 वर्ष में उन्हें याद करेंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी. और जब 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मना रहे हैं तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूँगा कि वे इसके लिए एक माहोल बनाएं सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएँ- पीएम मोदी
यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा इसके लिये बहुत से काम किये जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है. अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा. यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे. जैसे, आप जिस जिले में हैं वहाँ शताब्दियों तक जो आजादी का जंग चला उन आजादियों के जंग में वहाँ कोई घटनाएं घटी हैं क्या ? इसे लेकर विद्यार्थियों से research करवाई जा सकती है. उसे स्कूल के हस्तलिखित अंक के रूप में तैयार किया जा सकता है- पीएम मोदी
मेरे प्रिय देशवासियो, कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें. हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है. तेज़ी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है. मुझे ख़ुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि, उसे अवसर में बदल भी दिया है. आज, देश में, हर जगह कुछ न कुछ innovation हो रहे हैं. शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं. मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभायेंगे- पीएम मोदी
कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी | रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी. कहीं भूकंप आने पर, ईमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये dogs बहुत एक्सपर्ट होते हैं. राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार Indian breeds हैं. साथियो, मुझे यह भी बताया गया कि Indian Breed के Dogs भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं.Indian Breeds में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं. अगली बार, जब भी आप, dog पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी Indian breed के dog को घर लाएँ . आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है- पीएम मोदी
ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की. एक है सोफी और दूसरी विदा. सोफी और विदा भारतीय सेना के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards’ से सम्मानित किया गया है. हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान है Dogs हैं जो देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं. कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आंतकी साजिशों को रोकने में ऐसे Dogs ने बहुत अहम् भूमिका निभाई है. कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में dogs की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला
पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह – न्यूट्रीशियन Month के रूप में मनाया जाएगा. नेशन और न्यूट्रीशियन का बहुत गहरा सम्बन्ध होता है . हमारे यहाँ एक कहावत है “यथा अन्नम तथा मन्न्म” यानी, जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है. Experts कहते हैं कि शिशु को गर्भ में, और बचपन में, जितना अच्छा पोषण मिलता है, उतना अच्छा उसका मानसिक विकास होता है और वो स्वस्थ रहता है. बच्चों के पोषण के लिये भी उतना ही जरुरी है कि माँ को भी पूरा पोषण मिले- पीएम मोदी
आप भी आगे आएं, कुछ innovate करें, कुछ implement करें. आपके प्रयास, आज के छोटे-छोटे start-ups, कल बड़ी-बड़ी कंपनियों में बदलेंगे और दुनिया में भारत की पहचान बनेंगे. इसमें chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो तीनों तरीकों से . ये आपकी बड़ी मदद कर सकता है. और आप ये मत भूलिये कि आज जो दुनिया में बहुत बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ नज़र आती हैं ना, ये भी, कभी, startup हुआ करती थी- पीएम मोदी
आत्मनिर्भर app innovation challenge के results देखकर आप ज़रूर प्रभावित होंगे . काफी जाँच-परख के बाद, अलग-अलग category में, लगभग दो दर्जन Apps को award भी दिए गये हैं. इनमें एक App है, कुटुकी kids learning app. ये छोटे बच्चों के लिए ऐसा interactive app है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे math science में बहुत कुछ सीख सकते हैं. इसमें activities भी हैं, खेल भी हैं. इसी तरह एक micro blogging platform का भी app है. इसका नाम है कू – K OO कू . इसमें, हम, अपनी मातृभाषा में text, video और audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं, interact कर सकते हैं. एक app है Ask सरकार – पीएम मोदी
देखिये साथियो, Toy Industry बहुत व्यापक है | गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हो, MSMEs हों, इसके साथ-साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं. इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी.साथियो, हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं. भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी – कई ऐसे स्थान हैं. अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा- – पीएम मोदी
बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है. खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहाँ की visit करना, इन सबको curriculum का हिस्सा बनाया गया है. साथियो, हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं – पीएम मोदी
मैंने कहीं पढ़ा, कि, खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete हो. ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें. इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Sprit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया. खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया. एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया . महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था. यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया. इसलिए, गुरुदेव कहते थे, कि, खिलौने ऐसे होने चाहिए जो बच्चे के बचपन को बाहर लाये, उसकी creativity को सामने लाएं – पीएम मोदी
साथियो, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने. हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए टॉयज कैसे मिलें, भारत, Toy Production का बहुत बड़ा हब कैसे बने. वैसे मैं ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा माँगता हूँ, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी demand सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा. साथियो, खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं- पीएम मोदी
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा. और इसी से मैंने गांधीनगर की Children University जो दुनिया में एक अलग तरह का प्रयोग है, भारत सरकार के बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय, इन सभी के साथ मिलकर, हम बच्चों के लिये क्या कर सकते हैं, इस पर मंथन किया, चिंतन किया – पीएम मोदी
किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है. हमारे पर्व किसानों के परिश्रम से ही रंग-बिरंगे बनते हैं. न्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः. अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है. हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है….. मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ, उनके परिश्रम को नमन करता हूँ- पीएम मोदी
साथियो, इन दिनों ओणम का पर्व भी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. ये पर्व चिंगम महीने में आता है. इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं. ओणम की धूम तो, आज, दूर-सुदूर विदेशों तक पहुँची हुई है . अमेरिका हो, यूरोप हो, या खाड़ी देश हों, ओणम का उल्लास आपको हर कहीं मिल जाएगा . ओणम एक इंटरनेशनल फेस्टिवल बनता जा रहा है- पीएम मोदी
साथियो, हम, बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे ध्यान में आयेगी – हमारे पर्व और पर्यावरण. इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता रहा है. प्रकृति की रक्षा के लिये बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है. बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं. बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परम्परा के गीत,संगीत, नृत्य जमकर के उसके कार्यक्रम भी होते हैं- पीएम मोदी
बहुत एक रूप में देखा जाए तो नागरिकों में दायित्व का एहसास भी है. लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं. “देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है. गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो, ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है- पीएम मोदी
‘मन की बात’ में बोले पीएम मोदी- खिलौने के लिए ‘लोकल फॉर वोकल’ होने की जरूरत है
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