कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन करीब करीब 100 दिन पूरे करने जा रहा है. लेकिन नतीजा कोसों दूर है. किसान संगठनों की मांग है कि जब तक कानून वापस नहीं घर वापसी नहीं करेंगे.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन अलग अलग योजनाओं के जरिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं तो सरकार का कभी कहना है कि किसानों के ठोस प्रस्ताव पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं. इन सबके बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार की चुप्पी बहुत कुछ कहती है.
सरकार की चुप्पी, टिकैत को लग रहा डर ?
राकेश टिकैत का कहना है कि जिस तरह से केंद्र सरकार अन्नदाताओं के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है उससे साफ है कि वो लोग किसी बड़े योजना पर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार चाहती ही नहीं है कि इस मामले का समाधान निकले.
किसानों की मांग तो साफ है कि एमएसपी को कानूनी शक्ल दिया जाए और इसके साथ ही किसानों के हित के लिए जिन कानूनों को लागू किया गया है उसे हटा लिया जाए. जब किसानों का एक बड़ा तबका इस तरह के कानून से तौबा कर रहा है तो सरकार जिद पकड़ कर बैठ गई है.
सत्ता वापसी तक संघर्ष !
राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि आप किसानों की बात करते करते राजनीति की बात क्यों करने लगे तो उस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसानों को राजनीति कहां आती है, वो तो अपनी मांगों के लिए दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं. लेकिन सरकार अड़ियल रवैया अपनाए हुई है.
सरकार की चुप्पी, टिकैत को लग रहा डर!
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