Home ताजा हलचल गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की...

गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की सोच रहे किसान, टिकैत बोले ‘निष्पक्ष जांच’ की जरूरत

0

राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को लेकर किसान संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाने के बारे में सोच रहे हैं. इस बात के संकेत भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दिए हैं. शनिवार को उन्होंने कहा कि इस मामले पर ‘निष्पक्ष जांच’ की जरूरत है. इस दौरान टिकैत ने कृषि कानूनों के मुद्दे को यूएन ले जाने की बात से इनकार किया है.

टिकैत ने सवाल उठाया है, ‘क्या यहां कोई एजेंसी है, जो निष्पक्ष जांच कर सके? अगर नहीं है, तो क्या हमें इस मामले को यूएन में ले जाना चाहिए?’ उन्होंने यह साफ किया है कि किसान नेताओं ने कभी भी तीन कानून के मुद्दे को यूएन ले जाने की बात नहीं की है. बीकेयू नेता ने कहा, ‘हमने यह नहीं कहा था कि हम नए किसान कानूनों का मुद्दे संयुक्त राष्ट्र में ले जाएंगे. हमने केवल 26 जनवरी को हुई घटना पर प्रतिक्रिया दी थी.’

26 जनवरी को दिल्ली में आयोजित हुई ट्रेक्टर परेड के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इन घटनाओं में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी. जबकि, 394 पुलिसकर्मी समेत कई किसान घायल हो गए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, तय किए रास्ते से अलग होकर किसान लाल किले में प्रवेश कर गए थे. दिल्ली पुलिस ने लाल किला हिंसा मामले में दो चार्ज शीट दाखिल की हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, टिकैत ने कहा, ‘अगर केंद्र कृषि कानूनों पर चर्चा करना चाहता है, तो हम बातचीत के लिए तैयार हैं. 22 जुलाई के बाद हमारे 200 लोग संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे.’ बीते दिनों सरकार ने भी किसानों से बातचीत की बात कही थी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को साफ कर दिया है कि केंद्र तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगा. साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार किसानों के साथ अन्य विकल्पों पर चर्चा के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा, ‘मैं प्रदर्शन कर रहे किसानों से विरोध करने और हमारे साथ बातचीत की अपील करता हूं. सरकार चर्चा के लिए तैयार है.’ सरकार और किसान पक्ष के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है. आखिरी बार ये मुलाकात 22 जनवरी को हुई थी. 26 जनवरी को हिंसा भड़कने के बाद से ही चर्चाओं का दौर थमा हुआ है.

साभार-न्यूज़ 18

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version