उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के छेनागाड़ गांव में गुरुवार देर शाम अचानक हुए भारी बादल फटने के बाद सैलाब के रूप में आई बाढ़ ने त्रासदी का रूप ले लिया। पानी तथा मलबे की गहरी आवक के चलते इस पहाड़ी गांव का लगभग पूरा हिस्सा उजड़ गया है।
बाज़ार, मुर्गी फार्म, वाहन, मछली तालाब और कई आवासीय संरचनाएँ मलबे में दबकर नष्ट हो गईं, जिससे गांव का अस्तित्व ही मानो मिट गया हो। प्रशासन, NDRF और SDRF की टीमें तत्काल घटनास्थल पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राहत कार्यों के प्रति तेजी से कदम उठाने के साथ ही ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील की है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग भी क्षति का मुआयना कर रहे है, और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है।
यह घटना प्रकृति की अप्रत्याशित शत्रुता की याद दिलाती है—आज तक अस्तित्व में रहने वाला यह गांव अब सिर्फ़ तस्वीरों और कहानियों में जिंदा रह सकता है।