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संकष्टी चतुर्थी 2020: कब है संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

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भगवान गणेश जी


संकष्टी चतुर्थी 5 सितंबर को है. हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी है. संकष्टी चतुर्थी वैसे तो हर माह पड़ती है लेकिन आश्विन माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है. संकष्टी चतुर्थी गणेश भगवान को समर्पित मानी जाती है. इस दिन लोग गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं.

हिंदू धर्म में गणेश भगवान को बुद्धि, विवेक का स्वामी माना गया है. इसके अलावा गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. यही वजह है कि लोग किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि जो जातक सच्चे ह्रदय से संकष्टी चतुर्थी के व्रत को करता है उसपर गणेश भगवान का आशीर्वाद बना रहता है.

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का मुहूर्त:
चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ: 5 सितंबर को शाम 4 बजकर 38 मिनट से चतुर्थी तिथि लग जाएगी.
चतुर्थी तिथि का समापन: 6 सितंबर को रात्रि 07 बजकर 06 मिनट पर चतुर्थी तिथि का लोप हो जाएगा.
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय: 08 बजकर 38 मिनट

संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा विधि:
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजाघर की साफ सफाई करें, आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें. गणेश भगवान गणेश जी की प्रिय चीजें पूजा में अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है.

संकष्टी चतुर्थी की धार्मिक महिमा:
हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान चिव के छोटे पुत्र गणेश जी को प्रथम देव माना जाता है, यही वजह है कि हर मांगलिक कार्य से पहले उनकी आराधना की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सकारात्मकता बरक़रार रहती है और घर के सदस्यों में सद्बुद्धि आती है. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन अनिवार्य माना जाता है.

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