एडिनबर्ग|…… अमेरिका समेत कई देशों में एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है. जानकारों का कहना है कि इसकी एक वजह अधिक लोगों का मास्क पहनना और सुनियोजित तरीके से टेस्टिंग करना है. उधर स्कॉटलैंड स्वास्थ्य सेवा ने लुमिराडीएक्स नाम की एक कंपनी की कोरोना किट इस्तेमाल करने के लिए समझौता किया है.
लुमिराडीएक्स ने एक ऐसी ख़ास टेस्टिंग किट तैयार की है जिससे कोरोना वायरस संक्रमण के टेस्ट का नतीजा सिर्फ 12 मिनटों में ही आ जाएगा.
स्कॉटलैंड स्वास्थ्य सेवा ने ऐलान किया है की ये टेस्ट किट सुरक्षित और भरोसेमंद है और इसके लिए सरकार 300 रैपिड टेस्टिंग मशीनों और पांच लाख टेस्ट पर 67 लाख पाउंड खर्च करेगी. स्वास्थ्य उपकरण बनाने वाली कंपनी लुमिराडीएक्स इस करार के तरह स्टरलिंग में मौजूद अपने कारखाने में ख़ास टेस्टिंग स्ट्रिप बनाएगी.
इस कोरोना टेस्ट में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा और छोटे क्लिनिक और मोबाइल अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा सकेगा.
बता दें कि स्कॉटलैंड समेत ज्यादातर यूरोपीय देश अभी तक कोविड-19 टेस्टिंग किट चीन, अमेरिका या अन्य देशों से खरीद रहे थे. किसी भी टेस्टिंग किट को मान्यता अमेरिकी फ़ेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन देती है और फिलहाल स्कॉटलैंड और यूरोप के लिए ये आख़िरी चरण में है.
स्कॉटलैंड सरकार में मंत्री इवान मैक्की कहते हैं, ‘लुमिराडीएक्स के साथ जो करार हुआ है उसके तहत कंपनी हमारी स्वास्थ्य सेवा एजेंसी के लिए 12 मिनट में होने वाले कोरोना टेस्टिंग का सामान देगी. वायरस के ख़िलाफ़ जंग में ये महत्वपूर्ण है.’
उन्होने बताया कि ‘इस टेस्ट में टेस्टिंग डिवाइस में ख़ास तरह के स्ट्रिप का इस्तेमाल होगा जो स्कॉटलैंड में ही बनाए जाएंगे. इससे यहां लोगों के लिए रोज़गार के मौक़े बनेंगे और इसके साथ ही हमारी इंडस्ट्री भी मज़बूत होगी.’ इस टेस्ट में नाक से लिए गए एक स्वैब का परीक्षण कोविड-19 एंटीजन प्रोटीन के लिए किया जाएगा. टेस्ट का नतीजा बारह मिनट में आएगा.
माना जा रहा है दूसरे रैपिड एंटीजन की तुलना में इसका नतीजा जल्दी आएगा. ये टेस्टिंग डिवाइस क्लाउंड सिस्टम से जुड़ा रहेगा ताकि स्वास्थ्य अधिकारी वायरस के विस्तार के बारे में जल्द जानकारी प्राप्त कर सकें. लुमिराडीएक्स के चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव रॉन ज़्वानज़िगर ने कहा है कि “न केवल इस टेस्ट का नतीजा जल्दी आएगा बल्कि नजीता सटीक होगा और इसके आधार पर डॉक्टर जल्दी मरीज़ का इलाज शुरू कर सकते हैं.
साभार-न्यूज़ 18