इस वर्ष पितृ पक्ष और नवरात्र में एक माह का अंतर, 19 वर्षों बाद बन रहा ऐसा संयोग

इस वर्ष पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच में अधिकमास पड़ने के कारण दोनों में एक महीने का अंतर होगा. आश्विन मास में अधिकमास (मलमास) लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना ऐसा संयोग करीब 19 वर्षों बाद बन रहा है. 

हर वर्ष पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता था. पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा.

इस बार पितृ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा. अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा. चतुर्मास जो हमेशा चार माह का होता है, इस बार पांच माह का होगा. 

भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी के अध्यक्ष और ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि अधिकमास पूरे वर्ष में किसी भी माह के बाद या पहले आ सकता है. इस बार अधिकमास अश्विन मास के बाद आ रहा है. यानी इस वर्ष दो अश्विन मास होंगे. ये मास पितृ पक्ष के बाद प्रारंभ होगा और 30 दिनों तक रहेगा.

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हर बार पितृ पक्ष के बाद नवरात्र प्रारंभ होते हैं परंतु इस बार अधिकमास आने के कारण नवरात्र देर से शुरू होंगे. ऐसा 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है. प्रतीक ने बताया कि कुछ विद्वानों का यह भी कहना है की ये संयोग 165 वर्षों के बन रहा है.

क्या होता है अधिकमास 
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि हमारे सभी व्रत, आस्था मेले, मुहूर्त ग्रहों पर आधारित होते हैं. सूर्य चंद्र के द्वारा हिंदी माह का निर्माण होता है. 30 तिथियों का माह होता है, जिसमें 15 दिनों बाद अमावस्या और 15 दिनों बाद बाद पूर्णिमा होती है. इन माह में पूरे वर्ष ये तिथियां घटती बढ़ती रहती हैं.

तीन वर्षों के उपरांत ये घटी-बढ़ी तिथियां एक पूरे माह का निर्माण करती हैं. विशेष ये होता है की इस माह में संक्रांति नहीं होती. इस कारण लोग इसे मलमास भी कहते हैं. मलमास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

मांगलिक कार्यों के लिए करना होगा इंतजार
क्योंकि पितृ पक्ष में कोई मुहूर्त नहीं होता है. अधिकमास में भी कोई मुहूर्त नहीं होगा. जो लोग नवरात्रि में नई दुकान, घर, वाहन या कोई भी नया कार्य प्रारंभ करने की सोच रहे हैं. उन्हें अभी और इंतजार करना होगा.

तीन बार बना था ऐसा संयोग
सबसे पहले वर्ष 1942 में ऐसा संयोग बना था. इसके बाद वर्ष 1982 और फिर वर्ष 2001 में भी दो अश्विन मास आए थे. इस अश्विन मास के दो महीने होंगे. अश्विन माह 3 सितंबर से 31 अक्तूबर तक रहेगा. यानी इसकी अवधि दो माह रहेगी.

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इन दो माह में बीच की अवधि वाला एक माह का समय अधिकमास रहेगा. पितृमोक्ष अमावस्या के बाद 18 सितंबर से 16 अक्तूबर तक पुरुषोत्तम मास रहेगा. इस कारण 17 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि पर्व शुरू होगा.

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