सीएम तीरथ का बड़ा फैसला, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के करीबियों की सेवा समाप्त

देहरादून| आज बात होगी उत्तराखंड की सियासत की जो रोज करवट ले रही है. शुक्रवार का दिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके चाहने वालों के लिए दो बड़े झटके लेकर आया.

पहला झटका सीएम तीरथ सिंह रावत के उस फैसले से लगा है जिसमें सीएम ने त्रिवेंद्र कार्यकाल में नियुक्त संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को छोड़कर बाकी सभी आयोगों, निगमों, परिषदों में तैनात दायित्वधारियों की छुट्टी कर दी. मुख्य सचिव ने तत्काल प्रभाव से इनकी सेवाएं समाप्त किए जाने का आदेश जारी किया है.

दूसरा झटका श्रम कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत ने दिया. रावत ने कर्मकार कल्याण बोर्ड से त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में हटाए गए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सभी कर्मचारियों की वापसी का आदेश दिया है. हरक सिंह रावत ने कर्मचारियों को हटाए जाने के त्रिवेंद्र रावत सरकार के आदेश को अनुचित बताते हुए कहा है कि इन कर्मचारियों को उसी दिन से वेतन दिया जाए, जिस दिन से इनको हटाया गया था. ऐसे करीब बारह से अधिक कर्मचारी हैं.

इससे पहले गुरुवार को त्रिवेंद्र रावत सरकार में कर्मकार बोर्ड में सचिव पद पर तैनात की गईं पीसीएस अफसर दीप्ति सिंह को हटाकर उनकी जगह उप श्रमायुक्त हरिद्वार मधु नेगी चौहान को बोर्ड का सचिव नियुक्त कर दिया गया था. मधु नेगी चौहान उप श्रमायुक्त हरिद्वार के साथ-साथ बोर्ड के सचिव का भी कार्यभार देखेंगी. इसे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.

क्योंकि त्रिवेंद्र रावत सरकार में कर्मकार कल्याण बोर्ड में बड़े घपले का आरोप लगाते हुए श्रम मंत्री को ही बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. श्रम मंत्री को भी कानोकान इसकी भनक तक नहीं लगी थी. उनकी जगह दायित्वधारी शमशेर सिंह सत्याल को बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया था. इतना ही नहीं श्रम मंत्री हरक सिंह को बोर्ड पद से हटाने के बाद सचिव पद पर तैनात उनकी पसंदीदा अधिकारी दमयंती रावत की भी अगले कुछ दिनों में विदा कर दिया गया था.

इसके बाद साइकिल वितरण से लेकर श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन तक तमाम मामलों पर जांच बैठा दी गई थी. इसको लेकर हरक सिंह रावत तब खून का घूंट पीकर रह गए थे. लेकिन, अब सीएम बदलते ही हरक सिंह रावत एक बार फिर फुलफार्म में हैं.

हरक सिंह रावत का कहना है कि उनको गलत ढंग से हटाया गया था. जानबूझकर उनके खिलाफ एक ऐसा माहौल तैयार किया गया, जैसे कोई घोटाला हुआ हो. हरक सिंह रावत का कहना है कि त्रिवेंद्र रावत सरकार का ये कदम नासमझी भरा था. अगर इतने ही पावरफुल त्रिवेंद्र रावत थे या उनके सहयोगी थे, तो मुझे मंत्री पद से हटा देते. बहरहाल, उत्तराखंड की राजनीति में सालों से पल रहा उबाल अब खुलकर बहने लगा है.

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