देहरादून| शुक्रवार को उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के कैबिनेट का विस्तार शाम पांच बजे होगा. राजभवन में नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण होगा. मंत्रिमंडल में चार नए चेहरों होंगे शामिल. जबकि एक मंत्री का टिकट कटा है.
मदन कौशिक को मंत्री पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. वह त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और 3 बार हरिद्वार से लगातार विधायक हैं.
तीरथ सिंह रावत कैबिनेट में जो नए चेहरे शामिल होंंगे उनमें मुन्ना सिंह चौहान, बिशन सिंह चुफाल, महेंद्र भट्ट और बंशीधर भगत के नाम शामिल हैं.
वहीं हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, अरविंद पांडे, सतपाल महाराज, धन सिंह और रेखा आर्य मंत्रिमंडल में बने रहेंगे.
बताया जा रहा है कि तीरथ सिंह रावत के पास ऊर्जा और होम मिनिस्ट्री समेत 56 हाईप्रोफाइल मंत्रालय का कार्यभार है और नए मंत्रियों के आने से उनका यह भार कुछ कम हो जाएगा.
आपको बता दें कि डेढ़ साल पहले वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद से उनका कार्यभार भी सीएम के पास चला गया था.
तीरथ सिंह रावत कैबिनेट में जगह पाने वालों की रेस में में बीजेपी के सीनियर विधायक बिशन सिंह चुफाल का नाम शामिल है. चुफाल उत्तराखंड उन गिने-चुने विधायकों में शामिल हैं, जो लगातार 5 वीं विधायक बनें हैं.
ग्राम प्रधान से राजनीति का सफर शुरू करने वाले चुफाल उत्तराखंड की सियासत में मुख्यमंत्री को छोड़कर सभी सरकार और संगठन में सभी अहम पदों पर काबिज हो चुके है.
डीडीहाट विधानसभा के विधायक बिशन सिंह चुफाल ने अपने राजनीतिक करियर का आगाज ग्राम प्रधान से किया, जिसके बाद चुफाल डीडीहाट ब्लॉक के प्रमुख भी रहे. 1996 में चुफाल ने पहली बार बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और पहली बार ही वे जीतने में सफल भी रहे.
1996 में चुफाल ने विधानसभा का जो सफर शुरू किया था वो आज भी जारी है. उत्तराखंड बनने के बाद अंतरिम सरकार में बिशन सिंह को कुमाऊं मंडल विकास निगम के अध्यक्ष का जिम्मा मिला, लेकिन चुफाल सूबे की सियासत में 2007 के बाद चमके.
2007 में खंडूरी सरकार में उन्हें वन, पंचायतराज, परिवहन और सहकारी जैसे अहम विभागों का जिम्मा मिला. 3 सालों तक विभिन्न विभागों में कैबिनेट मंत्री रहने के बाद चुफाल को उत्तराखंड बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया.
त्रिवेन्द्र सरकार में भी ये उम्मीद थी कि चुफाल को मंत्रीमंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन उनकी लाख कोशिशों के बाद ये सम्भव नहींं हुआ. नतीजा ये रहा कि चुफाल ने त्रिवेन्द्र सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा ले लिया.