आकाशवाणी डे-उत्तरांचल टुडे विशेष स्टोरी: रेडियो से शुरू हुआ समाचारों-मनोरंजन का सुरीला सफर डिजिटल युग में हुआ ‘कैद’

आज गूगल और सोशल मीडिया के दौर में देश-दुनिया ने भले ही बहुत कुछ पा लिया है. प्रसारण के क्षेत्र और मनोरंजन के तमाम चैनलों की भरमार है.लेकिन इसकी देश में शुरुआत 94 साल पहले हुई थी. आज हम आपको बताएंगे आकाशवाणी के बारे में. भारत में आकाशवाणी की स्थापना 23 जुलाई 1927 को की गई थी. मुंबई (बंबई) में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने रेडियो प्रसारण सेवा शुरू की थी.

तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा रखा गया था. 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा. मैसूर के विद्वान और चिंतक एमवी गोपालस्वामी ने आकाशवाणी का अर्थ ‘आकाश से मिला संदेश’ बताया. पंचतंत्र की कथाओं में इस शब्द का जिक्र मिलता है. यहां हम आपको बता दें कि अकाशवाणी में जब भी किसी कार्यक्रम की शुरुआत होती थी तो सबसे पहले कहा जाता है, ‘ये आकाशवाणी है, अब आप समाचार सुनिए’.

आइए अब बात को आगे बढ़ाते हैं और जानते हैं आकाशवाणी के सफर के बारे में. साल 1951 में रेडियो के विकास को पंचवर्षीय योजना में शामिल कर लिया गया था इसके बाद से ही आकाशवाणी अस्तित्व में आ गया और जन-जन में लोकप्रिय हो गया . बता दें कि सरकारी प्रसारण संस्थाओं को स्वायत्तता देने के इरादे से 23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती का गठन किया गया, जो देश की एक सार्वजनिक प्रसारण संस्था है और इसमें मुख्य रूप से दूरदर्शन और आकाशवाणी को शामिल किया गया है.

आकाशवाणी के प्रसारण में आती गई तेजी, श्रोता खूब सुनते थे रेडियो
60 के दशक में भारत में रेडियो और ट्रांजिस्टर का इतना अधिक क्रेज हो गया कि यह समाज के हर तबके और हर घर में सुना जाने लगा . 3 अक्टूबर 1957 को आकाशवाणी की ‘विविध भारती सेवा’ शुरू हुई और देखते ही देखते विविध भारती देश में फरमाइशी फिल्मी गीतों के कार्यक्रम घर-घर में सुने जाने लगे . धीरे-धीरे प्रसारणों में तेजी आती चली गई आकाशवाणी के फिल्मी कलाकारों से मुलाकात, फौजी भाइयों के लिए ‘जयमाला’, ‘नवरंग’, ‘हवा महल’ के नाटक व अन्य लोक कार्यक्रम तेजी से लोकप्रिय हो गए.

उसी दौरान आकाशवाणी से ‘बिनाका गीतमाला’ भी शुरू की गई जिसे अमीन सयानी सुनाया करते थे. बाद में सन 1994 में बिनाका का नाम बदलकर सिबाका हो गया. आप को एक और जानकारी दे दें कि बिनाका और सिबाका के नाम से टूथपेस्ट भी आते हैं. 70 और 80 के दशक में लोग रेडियो लेकर गाना सुनते हुए सड़कों पर निकल जाते . उस दौरान क्रिकेट कमेंट्री सुनने का सबसे जबरदस्त माध्यम रेडियो ही हुआ करता था. लोग रेडियो को लेकर ट्रेनों, बसों और साइकिल पर भी लेकर दिखाई देते.

कई ऑफिसों में भी रेडियो सुना जाता था. पहले मनोरंजन और समाचार सुनने का सबसे बड़ा माध्यम आकाशवाणी हुआ करता था. गांव से लेकर शहर तक लोगों को रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का बेसब्री से इंतजार रहता . रेडियो की आवाज दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी. लेकिन उसके बाद रंगीन टेलीविजन आने के बाद रेडियो का महत्व कम होता चला गया. ‘केबल नेटवर्क’ ने आकाशवाणी को और पीछे कर दिया.

साल 2000 के बाद देश में आकाशवाणी के प्रसारणों का क्रेज कम होने लगा
वर्ष 2000 के बाद आकाशवाणी और रेडियो का क्रेज धीरे धीरे कम होना शुरू हो गया. कुछ वर्षों तक रेडियो पर एफएम प्रसारण ने भी युवाओं को अपनी ओर आकर्षित तो किया लेकिन कुछ साल बाद सोशल मीडिया एफएम रेडियो पर भारी पड़ गया. उसके बाद मोबाइल, इंटरनेट, कंप्यूटर, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टि्वटर और एंड्राइड फोन आदि ने रेडियो का सुरीला सफर कम कर दिया.

धीरे-धीरे रेडियो के श्रोता कम होते चले गए, जो कल तक आकाशवाणी रेडियो सुनने के जबरदस्त प्रशंसक थे उनको ही रेडियो सुनना अब ‘बोर’ लगने लगा था . साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकाशवाणी को गति देने की कोशिश कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन-जन में रेडियो को एक बार फिर से पहुंचाने के लिए ‘मन की बात’ का प्रसारण शुरू कर दिया.

अमेरिका में भी कई राष्ट्रपति हुए हैं जो अपनी मन की बात रेडियो के माध्यम से ही लोगों तक पहुंचाया करते थे . पीएम मोदी का मन की बात प्रत्येक महीनेे के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जाता है. इसके माध्यम से प्रधानमंत्री देश की समस्याओं से लेकर अन्य मुद्दों पर देश की जनता के सामने राय रखते हैं. इसके साथ पीएम सीधे लोगोंं से बात भी करते हैं. आकाशवाणी की स्थापना दिवस पर आइए रेडियो से बात करें.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

Related Articles

Latest Articles

बाबा रामदेव को सुप्रीमकोर्ट से झटका, पतंजलि ट्रस्ट को देना होगा 4.5 करोड़ का...

0
शुक्रवार को बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सुप्रीमकोर्ट से झटका लगा. न्यायालय ने अपीलीय न्यायाधिकरण के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें...
अरविन्द केजरीवाल

सीएम केजरीवाल के भोजन और इंसुलिन वाली याचिका पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित,...

0
रीउज ऐवन्यू कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनावाई को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है. उनके भोजन और इंसुलिन...

लोकसभा चुनाव 2024: उत्तराखंड में 05 बजे तक 53.56 फीसदी मतदान

0
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की पांच सीटों पर मतदान शुरू हो गया है. प्रदेश के 83 लाख से ज्यादा मतदाता 55...

IPL 2024 MI Vs PBSK: रोमांचक मुंकाबले में मुंबई ने पंजाब को 9 रन...

0
पंजाब किंग्स के खिलाफ मुंबई इंडियंस ने जीत हासिल कर ली है. रोमांचक मुंकाबले में मुंबई ने पंजाब को 9 रन से हराया. पंजाब...

दुबई की सड़कों पर भारी बारिश से सैलाब, भारतीय दूतावास की सलाह- जरूरी न...

0
बारिशों और तूफानों के प्रभाव से संयुक्त अरब अमीरात और ओमान में लोगो को बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ी हैं। इन आपदाओं के चलते यातायात...

हरिद्वार में वोट डालने गए मतदाता ने बूथ केंद्र पर पटकी EVM , हिरासत...

0
हरिद्वार विधानसभा के मतदान केंद्र ज्वालापुर इंटर कॉलेज में एक मतदाता ने ईवीएम मशीन का विरोध किया, पोलिंग बूथ पर रखी मशीन को नीचे...

अमित शाह ने गांधीनगर से भरा नामांकन, बोले-इस बार एनडीए पार करेगी 400 आंकड़ा

0
केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह ने शुक्रवार 19 अप्रैल को गांधीनगर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. इस दौरान...

उत्तराखंड: युवाओं में दिखा उत्साह, तो बुजुर्गों-दिव्यांगों का हाैसला भी कम नहीं

0
आज के चुनावी महापर्व में, उत्तराखंड के बुजुर्ग मतदाता न केवल अपने जज्बे का प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि उनका यह उत्साह देखकर दिव्यांग...

टिहरी सीट के इस क्षेत्र में अभी तक नहीं पहुंचा एक भी मतदाता, जानें...

0
टिहरी गढ़वाल सीट के चकराता क्षेत्र में शांति का माहौल है, सुबह से अब तक कोई भी मतदाता मतदान के लिए नहीं पहुंचा है।...

समुद्र मंथन वाले वासुकि नाग के मिले अवशेष, 5 करोड़ साल पुराना इतिहास

0
हिंदू धर्म में शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे समुद्र मंथन की कहानी के बारे में पता न हो. समुद्र मंथन के दौरान ही...