ऋषि पंचमी विशेष: परंपरा, व्रत और सप्त ऋषियों की पूजा-पाठ से महिलाओं को मिलती है सभी दोषों से मुक्ति

विभिन्न धर्म, भाषा, बोली और संस्कृति के साथ तीज त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में भारत की पहचान पूरी दुनिया भर में जानी जाती है. यही कारण है कई देशों के लोगों में हमारे देश के प्रति गहरी आस्था है. चाहे मथुरा-वृंदावन, बनारस, ऋषिकेश, हरिद्वार समेत आदि धार्मिक स्थानों पर हजारों की संख्या में विदेशी महिलाएं, पुरुष मिल जाएंगे.

यह लोग यहां भगवान की भक्ति में लीन हैं और धार्मिक अनुष्ठान और त्योहारों को भी जश्न के साथ मनाते हैं. त्योहारों की परंपरा देश में सदियों से चली आ रही है. एक फेस्टिवल खत्म होता है तो दूसरे की तैयारी शुरू हो जाती है. दो दिन पहले गुरुवार को हरितालिका तीज मनाई गई थी. शुक्रवार को गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश का 10 दिनों का उत्सव देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. ‌

आज सुबह से ही सोशल मीडिया, व्हाट्सएप आदि पर विशेष तौर पर महिलाओं से जुड़ा व्रत और अनुष्ठान को लेकर बधाई और शुभकामनाएं आने लगी. ‌हर साल हरितालिका तीज के 2 दिन और गणेश चतुर्थी के अगले दिन मनाया जाने वाली ‘ऋषि पंचमी’ आज है.

बता दे कि ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही खास माना जाता है. हिंदू शास्त्रों में ऋषि पंचमी के व्रत का विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है जो इस व्रत का श्रद्धा अनुसार पालन करता है उसे सारे दोषों से मुक्ति मिल जाती है.

ये व्रत मुख्य तौर से सप्त ऋषियों को समर्पित होता है. कहा जाता है इस व्रत को करने से धन-धान्य, समृद्धि, संतान प्राप्ति की कामना भी पूरी हो जाती है. हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी व्रत पड़ता है.

ऋषि पंचमी पर महिलाएं करती हैं सुख-समृद्धि की कामना
ऋषि पंचमी को मुख्य रूप से व्रत के रूप में जाना जाता है. यह दिन भारतीय ऋषियों के सम्मान के तहत मनाया जाता है. इस दिन महिलाओं को प्रातः काल उठकर स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए. इस दिन घर को पवित्र करने के लिए गंगाजल का उपयोग करना चाहिए.

इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है. सप्त ऋषि मतलब सात ऋषि. इन सात ऋषियों के नाम हैं, ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ. कहते हैं समाज के उत्थान और कल्याण के लिए इन ऋषियों ने अपना सहयोग दिया था.

उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के प्रति सम्मान जताने के लिए ऋषि पंचमी के दिन व्रत और पूजा-अर्चना की जाती है. महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त कर सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं. जाने-अनजाने हुई गलतियों और भूल से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत जरूर करती हैं.

देश में महिलाओं के लिए प्राचीन समय से ही कई नियम पालन करने के लिए बनाए गए
बता दें कि देश में प्राचीन समय से ही महिलाओं के लिए माहवारी के समय पूजा-आराधना के कई नियम बताए गए थे और ऐसा कहा जाता था कि जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा उन्हें दोष लगेगा. इस दोष के निवारण के लिए ही महिलाएं इस व्रत का पालन करती हैं.

कहा जाता है कि जो महिला इस व्रत का पालन करती है उसे न केवल दोषों से मुक्ति मिलती है बल्कि उन्हें संतान प्राप्ति और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. माना जाता है कि अगर ये व्रत एक बार शुरू कर दिया जाए तो इसे हर वर्ष करना आवश्यक हो जाता है.

फिर वृद्धावस्था में ही इस व्रत का उद्यापन किया जा सकता है. इस व्रत के उद्यापन के लिए ब्राहमण भोज करवाया जाता हैं. भोज के लिए सात ब्रह्मणों को सप्त ऋषि का रूप मानकर उन्हें वस्त्र, अन्न, दान, दक्षिणा दी जाती है.कहा जाता है कि महिलाओं के साथ लोगों के लिए भी ऋषि पंचमी का व्रत कई दोषों से मुक्ति दिलाता है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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