जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व कविता दिवस और क्या है इसका इतिहास

प्रत्येक वर्ष दुनियाभर में 21 मार्च को ‘विश्व कविता दिवस’ मनाया जाता है. यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने प्रति वर्ष 21 मार्च को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय किया था.

विश्व कविता दिवस के अवसर पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी की ओर से सबद-विश्व कविता उत्सव का आयोजन किया जाता है.

विश्व कविता दिवस का इतिहास:

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 में पेरिस में हुए यूनेस्को के 30 वें अधिवेशन में ‘21 मार्च’ को ‘विश्व कविता दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी.

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है. भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है.

इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है. कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है.

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कविता के लेखन, प्रकाशन-अध्ययन और अध्यापन के साथ ही सृजनात्मकता को विश्व भर में बढ़ावा देना है.

जब यूनेस्को ने इस दिन की घोषणा की थी तब उसने कहा था कि क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता आंदोलन को यह एक तरह की पहचान मिली है.

कविता रचनात्मक से जुड़ा क्षेत्र है इसलिए इस दिन शिक्षक, सरकारी संस्थाएं, सामुदायिक समूह तथा व्यक्तिगत रूप से कवि कविता लेखन को बढ़ावा देने हेतु जगह-जगह आयोजन करते हैं.

विश्व कविता दिवस एक ऐसा अवसर है जहां पर बच्चों को स्कूल की कक्षा में कविताओं से रूबरू कराया जाता है. इस दिन विद्यार्थी अलग-अलग तरह की कविताओं को पढ़ते हैं.

यह एक ऐसा मौक़ा है जहां पर कवि न सिर्फ अपनी भाषा की भव्यता से लोगों का परिचय करवाता है, बल्कि अपनी कविता की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है.

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