Home एक नज़र इधर भी दांतों का साथी: आज दुनिया को मिली थी ‘टूथब्रश’ की सौगात, 524...

दांतों का साथी: आज दुनिया को मिली थी ‘टूथब्रश’ की सौगात, 524 साल पहले इस देश से हुई शुरुआत

0

आज 26 जून, दिन संडे है. छह दिनों से जारी महाराष्ट्र संकट पर मुंबई से लेकर राजधानी दिल्ली तक सियासी माहौल गरमाया हुआ है. देश में राजनीति का उतार-चढ़ाव चलता रहता है. आज महाराष्ट्र, कल कोई दूसरा तो प्रदेश होगा जिसमें ऐसे हालात दिखाई देंगे.

खैर ! यह सियासत है क्या कीजिएगा. आइए आज रविवार को आपके और हमारे नित्य जीवन से जुड़ी सेहत से संबंधित बातें कर ली जाए. देश में सवेरे उठकर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के करोड़ों लोग हर दिन दांतों को साफ करने के लिए ‘टूथब्रश’ का इस्तेमाल करते हैं.

आज पूरी दुनिया में दांतों को साफ करने के लिए सबसे अच्छा टूथब्रश का तरीका ही कारगर माना जाता है. आज ही पहली बार 524 साल पहले चीन में टूथब्रश की शुरुआत हुई थी. बता दें कि 26 जून 1498 में चीनी शासक होंगझी ने टूथब्रश का पेटेंट कराया था.

कहा जाता है कि 3000 ईसा पूर्व में लोग दांतों को चमकदार बनाने के लिए पेड़ की पतली डाली का इस्तेमाल करते थे. 1600 ईसा पूर्व के आसपास चीनी लोग खुशबूदार पेड़ों की डालियों का इस्तेमाल करने लगे. 1498 में चीन के मिंग वंश के राजा होंगझी ने सूअर के बालों से पहला टूथब्रश बनाया था.

इन बालों को एक हड्डी या लकड़ी पर लगाया गया था. 1690 में पहली बार टूथब्रश शब्द का इस्तेमाल किया गया था. पहला टूथब्रश सुअर के बालों से बना था, जो किसी हड्डी या बांस के टुकड़ों पर लगे होते थे. सेलुलॉयड प्‍लास्टिक ब्रश हैंडल पहली वर्ल्‍ड वॉर के बाद ही नजर आए.

इससे पहले भारत समेत दुनिया में आमतौर पर दातून इस्‍तेमाल किया जाता था. 1938 में जानवरों के बाल के बजाय नाइलोन के ब्रिस्‍टल इस्‍तेमाल होने लगे. यानी ब्रश में जानवरों के बालों की जगह नायलॉन का इस्तेमाल किया जाने लगा.

जबकि पहला इलेक्ट्रिक टूथब्रश 1939 में बनाया गया था. 1950 के दशक तक टूथब्रश ने काफी हद तक आज के जैसा आकार ले लिया था‌. इसके बाद नई-नई तकनीक के साथ ब्रश में बदलाव होता गया और आज हमारे पास ब्रश के ढेरों विकल्प मौजूद हैं.

एक सर्वे में लोगों ने कहा कि वो टूथब्रश के बिना जीवन की कल्‍पना नहीं कर सकते . साल 1939 में स्विस इलेक्ट्रिक टूथब्रश आया, लेकिन ऐसी बड़ी कामयाबी 1961 में स्किव्‍ब का ब्रोक्‍सोडेंट था. मौजूदा समय में पूरे दुनिया भर में बड़ी-बड़ी कंपनियां टूथब्रश बनाने में लगी हुई है.

देश में हजारों साल से चली आ रही दातुन करने की परंपरा अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है गांव से लेकर शहरों तक लोग टूथब्रश से ही दांतों की सफाई करते हैं. हालांकि दातुन भी दांतों के लिए फायदेमंद है.

शंभू नाथ गौतम

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version