आखिरकार भाजपा ने यूपी सहकारी ग्रामीण बैंकों से मुलायम परिवार की ‘हुकूमत’ की ध्वस्त


आज उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जश्न में डूबी हुई है. भाजपा ने कोई चुनाव नहीं जीता है, न कोई विरोधी दल का बड़ा नेता पार्टी में शामिल हुआ है. लेकिन फिर भी पूरे प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं से लेकर ‘योगी सरकार खुशियों में सराबोर है’. आइए अब आपको बताते हैं इस खुशी का कारण क्या है. पिछले 30 वर्षों से यूपी में समाजवादी पार्टी और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव परिवार की ‘हुकूमत’ को गुरुवार को भाजपा ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.

आज हम चर्चा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण बैंकों की. प्रदेश में यह बैंक ग्रामीण स्तर के माने जाते हैं. इन्हीं बैंकों पर मुलायम परिवार ‘तीन दशकों से कब्जा जमाए बैठा हुआ था’. मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए गांव-गांव और छोटे-छोटे कस्बों में सहकारिता समितियां बनाई थी. इसके तहत किसानों, मजदूरों को संगठित करना, उन्हें लोन दिलाना, बैंक स्थापित करना, लैंड डेवलपमेंट करवाना मुलायम का बड़ा योगदान माना जाता है.

यही नहीं मुलायम की राजनीतिक मजबूती का सबसे बड़ा आधार यही रहा है. यहां तक कि मायावती के दौर में भी सहकारी ग्रामीण विकास बैंक पूरी तरीके से ‘यादव परिवार के कंट्रोल में ही रहा’, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इस बार न सिर्फ ‘सपा का तिलिस्म तोड़ा’ बल्कि प्रचंड जीत के साथ भविष्य के संकेत भी दे दिए हैं. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण बैंकों के लिए चुनावी प्रक्रिया का प्रावधान है. मंगलवार को इन बैंकों की शाखाओं के लिए हुए चुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए हैं. भाजपा ने 323 शाखाओं में 293 पर जीत दर्ज कर शानदार परचम फहराया है.

विपक्ष (जिसमें समाजवादी पार्टी और कांग्रेस शामिल है) को ग्रामीण बैंक की सिर्फ 19 सीटें मिली हैं, जबकि 11 सीटों पर चुनाव रद कर दिए गए थे. सहकारी ग्रामीण बैंकों के चुनाव में कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट अमेठी के जगदीशपुर में ही जीत दर्ज करा सकी. दूसरी ओर विपक्षी दलों द्वारा जीती गई अन्य प्रतिष्ठित सीटों में वाराणसी, बलिया, गाजीपुर और इटावा है. इस जबरदस्त जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कहा कि विपक्षी उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं की। वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने कहा कि योगी सरकार ने चुनावों को हाइजैक कर लिया था, तभी हमारी हार हुई है.


15 वर्षों से शिवपाल सिंह यादव सहकारी ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष पद पर काबिज थे
मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव वर्ष 2005 से लगातार इस बैंक के अध्यक्ष पद पर रहे हैं. इस बार प्रदेश की योगी सरकार ने सहकारी ग्रामीण बैंकों के नियमों में बदलाव करने से शिवपाल यादव चुनाव नहीं लड़ सके हैं. प्रदेश में सहकारी ग्रामीण विकास बैंक की 323 शाखाएं हैं. प्रत्येक शाखा से एक-एक प्रतिनिधि चुना जाता है। यह निर्वाचित प्रतिनिधि सूबे में अब 14 डायरेक्टर का चुनाव करेंगे, जिसमें से एक सभापति और उपसभापति चुना जाएगा.

इन जीते हुए शाखा प्रतिनिधियों द्वारा बैंक की प्रबंध कमेटी के सदस्यों का निर्वाचन 22 और 23 सितंबर को किया जाएगा। इस चुनाव के बाद अब बैंक के प्रबंध कमेटी पर भाजपा का नियंत्रण हो जाएगा और 23 सितंबर को बैंक के सभापति, उप सभापति और अन्य समितियों में भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव होना है. आपको बता दें कि यूपी सहकारी ग्रामीण बैंकों में शिवपाल यादव की ‘बादशाहत’ अभी तक कायम थी. पिछले दिनों शिवपाल की भाजपा सरकार से नजदीकियां भी सुर्खियों में रही थी. इसके बावजूद उन्हें इन चुनावों में कोई फायदा नहीं मिल सका है. इन सहकारी बैंकों के चुनावों में शिवपाल अपनी और पत्नी की सीट बचाने में बड़ी मुश्किल से कामयाब हो सके हैं.


बसपा प्रमुख मायावती भी सहकारी बैंकों से सपा और मुलायम का वर्चस्व नहीं हटा सकी थी
आइए अब आपको उत्तर प्रदेश की सियासत में 43 वर्ष पहले लिए चलते हैं. बात 1977 की है. जब यूपी सरकार में मुलायम सिंह यादव ने सहकारिता मंत्रालय संभाला था. दरअसल प्रदेश का सहकारिता विभाग पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल से याद किया जाता है. मुलायम सिंह यादव ने वहीं से सहकारिता को अपना हथियार बना लिया था. आज उत्तर प्रदेश में 7500 सहकारी समितियां हैं, जिसके लगभग एक करोड़ सदस्य हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्ता मेंं आने के लिए सहकारी बैंकों में अपने परिवार और अपने ‘खास सिपहसालारों का वर्चस्व’ भी माना गया था.

बता दें कि 1991 से अब तक सहकारिता के क्षेत्र में समाजवादी पार्टी और मुलायम सिह यादव के परिवार का दबदबा बना हुआ था. उसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को सहकारी ग्रामीण बैंकों का मुखिया बना दिया था. इन बैंकों पर शिवपाल सिंह यादव की इतनी तगड़ी पकड़ हो चुकी थी कि बसपा भी उसे नहीं तोड़ सकी थी जबकि 2007 से 2012 तक मायावती पांच साल तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं.

बसपाकाल में सपाइयों ने कोर्ट में मामला उलझाकर चुनाव नहीं होने दिए थे और अपने सियासी वर्चस्व को बरकरार रखा था. लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार ने सहकारी समितियों से समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव का किला ध्वस्त कर दिया है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

Related Articles

Latest Articles

दिल्ली में 31 मार्च को महारैली, राहुल गांधी समेत कई दिग्गज नेता होंगे शामिल

0
31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में आम आदमी पार्टी की भारतीय गठबंधन के साथ महारैली होगी, जिसमें विपक्ष अपनी ताकत का प्रदर्शन...

सीएम धामी पुरोला में, प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह के समर्थन में निकाला रोड...

0
आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह के समर्थन में पुरोला में रोड शो...

महागठबंधन की सीटों का ऐलान हुआ, देखिये पूरी सूची

0
तीन दिनों तक नई दिल्ली में मंथन के बाद आखिर महागठबंधन में सीट बंटवारे की घोषणा कर दी गई. इसके तहत बिहार में राजद...

AAP का ‘केजरीवाल को आशीर्वाद’ अभियान आज से शुरू, पत्नी सुनीता ने जारी किया...

0
अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल एक बार फिर मीडिया के सामने आई हैं, जबकि उनके पति के गिरफ्तारी के खिलाफ अभियान चल रहा...

1991 में अल्मोड़ा से चुनाव हारने की कसक,नहीं तो केंद्र में मंत्री बनता- हरीश...

0
लोकसभा सीट अल्मोड़ा से तीन बार सांसद रहे हरीश रावत को आज भी 1991 के चुनाव में मिली हार की कसक है। यदि...

आयकर विभाग ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी को भेजा नोटिस, 1700 करोड़ रुपए...

0
आयकर विभाग ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी को नोटिस भेजा है. इस नोटिस में पार्टी से 1700 करोड़ रुपए मांगे गए हैं. सूत्रों...

मुख्तार अंसारी की मौत की होगी जांच, डीएम ने दिए आदेश-तीन सदस्यीय कमेटी का...

0
मुख्तार अंसारी की मौत के मामले में बांदा के डीएम ने जांच का आदेश दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डीएम के आदेश के...

मध्यप्रदेश: कांग्रेस को फिर एक झटका, दमोह और कटनी के डेढ़ सौ नेताओं ने...

0
लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा कांग्रेस संगठन को एक बाद एक झटके पर झटके दे रही है। इस शुक्रवार को दमोह और कटनी के...

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे सहित 600 वकीलों ने सीजीआई को लिखा पत्र, जानिए क्या...

0
सीनियर वकील हरीश साल्वे सहित देश के 600 से ज्यादा वकीलों ने सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर सवाल उठाने को लेकर...

Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानिए भगवान यीशु की बलिदान...

0
गुड फ्राइडे ईसाई समुदाय के खास पर्वो में से एक है. इसे भगवान यीशु के शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है. गुड...