Home उत्‍तराखंड चमोली: ट्रेकर्स के लिए खुशखबरी! खुलने को तैयार है प्रसिद्ध फूलों की...

चमोली: ट्रेकर्स के लिए खुशखबरी! खुलने को तैयार है प्रसिद्ध फूलों की घाटी

0
फूलो की घाटी

ट्रेकर्स के लिए खुशखबरी है. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित प्रसिद्ध फूलों की घाटी ट्रेक 1 जून 2022 से खुलने के लिए तैयार है. यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया हुआ है. फूलों की घाटी नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में आती है. अगर आप ट्रेकिंग की योजना बना रहे हैं, तो 31 अक्टूबर से पहले अपना यह सपना पूरा कर लें क्योंकि उसके बाद यह ट्रेन बंद हो जाएगा.

फूलों की घाटी में हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं और यहां की सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं. यह क्षेत्र ट्रेकिंग के लिए भी मशहूर है. यह घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. यहां आपको फूलों की 500 से ज्यादा प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी.

हालांकि, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पर्यटकों को शिविर लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है. ऐसे में पर्यटक इस घाटी के निकटतम कैंपिंग साइट पर ही कैंपिंग करते हैं.
फूलों की घाटी का नजदीकी कैंपिंग साइट घांघरिया का सुरम्य गांव होगा. जहां शिविर लगाकर पर्यटक कई दिनों तक रहते हैं और फूलों की घाटी के आसपास के पर्यटक स्थलों की भी घुमक्कड़ी करते हैं.

फूलों की घाटी घूमने का बेस्ट टाइम
फूलों की घाटी हर साल 1 जून को खुलती है और अक्टूबर में बंद होती है. यहां विजिट करने का सबसे अच्छा वक्त जुलाई से लेकर सितंबर के बीच माना जाता है. इस दौरान आपको इस घाटी में फूलों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलेंगी जो कि आपका दिल जीत लेंगी. अगर आप खिले हुए फूलों को देखना चाहते हैं, तो आपको इस घाटी के भ्रमण के लिए अगस्त महीने में जाना चाहिए. इस वक्त यहां चारों तरफ फूल ही फूल खिले रहते हैं.

फ्रेंक स्मिथ ने 1931 में खोजी थी फूलों की घाटी
फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की थी. फ्रैंक ब्रिटिश पर्वतारोही थे. फ्रेंक और उनके साथी होल्डसवर्थ ने इस घाटी को खोजा और उसके बाद यह प्रसिद्ध पर्यटल स्थल बन गया. इस घाटी को लेकर स्मिथ ने “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” किताब भी लिखी है. फूलों की घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है. हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक फूलों की घाटी देखने के लिए आते हैं.

जन श्रुती के अनुसार रामायण काल में भगवान हनुमान जी संजीवनी बुटी लेने के लिए फूलों की घाटी आये थे. फूलों की इस घाटी को स्थानीय लोग परियों का निवास मानते हैं. यही कारण है कि लंबे समय तक लोग यहां जाने से कतराते थे. स्थानीय बोली में फूलों की घाटी को भ्यूंडारघाटी कहा जाता है.

अगर आप दिल्ली से फूलों की घाटी बस से जा रहे हैं तो कश्मीरी गेट से बस पकड़ें. आपको यहां से ऋषिकेश तक बस मिलेगी और वहां से आगे जोशीमठ वाली बस में बैठना होगा. दिल्ली से फूलों की घाटी की दूरी करीब 500 किलोमीटर होगी. ऋषिकेश से इस घाटी की दूरी 270 किलोमीटर है. बस या गाड़ी द्वारा आप गोविंदघाट तक ही जा सकेंगे और उसके बाद आपको चलकर जाना होगा.



NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version