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यूपी सरकार करा रही है मदरसों का सर्वे, संचालकों से पूछे जाएंगे 12 सवाल

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सांकेतिक फोटो

नोएडा| यूपी में आजकल मदरसे सियासत का अखाड़ा बने हुए हैं. सोशल मीडिया पर भी मदरसों को लेकर जुबानी जंग छिड़ी हुई है. पूरा मामला प्राइवेट मदरसों के सर्वे से जुड़ा हुआ है. यूपी सरकार मदरसों का सर्वे करा रही है.

सर्वे के दौरान मदरसा संचालकों से 12 सवाल पूछे जाएंगे. सवालों से संबंधित एक प्रोफार्मा तैयार कराया गया है. मदरसा संचालकों को यह प्रोफार्मा भेज दिया जाएगा.

प्रोफार्मा में दिए गए 12 सवालों के जवाब के आधार पर ही मदरसों का सर्वे होगा. सर्वे टीम मौके पर यह भी देखेगी कि दिए गए जवाबों की भौतिक स्थिति क्या है.

सरकार ने मदरसों में होने वाले सर्वे के लिए सवालों का एक प्रोफार्मा तैयार किया है. प्रोफार्मा में जो 12 सवाल दिए गए हैं वो कुछ इस तरह से हैं, मदरसे का नाम, मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसे की स्थापना का वर्ष, मदरसा किराए के भवन में है या निजी भवन में, मदरसे में पीने का पानी, शौचालय, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं हैं की नहीं, मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या, मदरसे में शिक्षकों की संख्या, मदरसे में कौन सा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है.

मदरसे की इनकम का रास्ता क्या है. मदरसे में पढ़ने वाले छात्र क्या किसी और दूसरी संस्था में भी पंजीकृत हैं. क्या मदरसे किसी और गैर सरकारी संस्था और समूह से संबद्ध हैं. और सबसे आखिरी 12वें नंबर का सवाल अभियुक्ति है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने अपने प्रेस नोट में कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण करवाने का फैसला वास्तव में हमवतनी भाइयों के बीच दूरी पैदा करने की घिनौनी और नापाक साज़िश है. उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक मदरसों का एक उज्ज्वल इतिहास रहा है.

इन मदरसों में पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए चरित्र-निर्माण और नैतिक प्रशिक्षण का आयोजन चौबीसों घंटे किया जाता है. कभी इन मदरसे में पढ़ने और पढ़ाने वालों ने आतंकवाद और साम्प्रदायिक घृणा पर आधारित कोई कार्य नहीं किया. हालांकि कई बार सरकार ने इस प्रकार के आरोप लगाए; चूंकि ये झूठे आरोप थे इसलिए इसका कोई सुबूत नहीं मिला.









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