एयर क्रैश पीड़ितों की पहचान में जुटा विज्ञान: DNA फिंगरप्रिंटिंग बनी उम्मीद की आखिरी किरण

अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे के बाद, जहां सैकड़ों यात्रियों की जान गई, वहां सबसे बड़ी चुनौती मृतकों की पहचान बन गई है। शव बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने के कारण परिजनों के लिए अपनों की पहचान कर पाना लगभग असंभव हो गया है। ऐसे में विज्ञान की आधुनिक तकनीक DNA फिंगरप्रिंटिंग एक अहम भूमिका निभा रही है।

विशेषज्ञों की टीम ने दुर्घटनास्थल से शवों के अवशेष और खून के सैंपल इकट्ठा कर लिए हैं। इन्हें परिजनों से लिए गए डीएनए सैंपलों से मिलाया जाएगा ताकि मृतकों की शिनाख्त की जा सके। इस प्रक्रिया में कुछ दिन लग सकते हैं, लेकिन यह तरीका 100% सटीक और वैज्ञानिक है।

फॉरेंसिक टीम के अनुसार, कई मामलों में शरीर के जलने या कटने की स्थिति में पहचान असंभव हो जाती है। ऐसे में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग विश्वसनीय और प्रमाणिक उपाय है। इससे परिजनों को अंतिम संस्कार और कानूनी प्रक्रिया में राहत मिलेगी।

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवेदनशीलता बरती जाएगी। इस हादसे में विज्ञान एक बार फिर मानवता के पक्ष में खड़ा है – पीड़ितों को नाम और पहचान दिलाने के लिए।

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