Home ताजा हलचल Infantry day special: जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय होने के बाद पैदल...

Infantry day special: जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय होने के बाद पैदल सेना ने कबायलियों को खदेड़ा

0

कश्मीर के महाराज हरि सिंह ने मुश्किल वक्‍त में भारत को याद किया और भारत ने भी मदद करने में पैर पीछे नहीं खींचे. महाराजा हरि सिंह की तरफ से जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर होने के तुरंत बाद कबायलियों और पाकिस्तान की सेना से बचाने के लिए भारतीय सेना की पहली टुकड़ी श्रीनगर पहुंची. ये सभी सिख रेजीमेंट की पहली बटालियन के सैनिक थे जो भारतीय सेना की एक इन्फेंट्री रेजिमेंट है.

इन पैदल सैनिकों के जिम्मे पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आक्रमणकारी कबायलियों से लड़ना और कश्मीर को उनसे मुक्त कराना था. स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमणकारियों के खिलाफ यह पहला सैन्य अभियान था. हमलावर कबायलियों की संख्या करीब 5,000 थी और उनको पाकिस्तान की सेना का पूरा समर्थन हासिल था.

कबायलियों ने एबटाबाद से कश्मीर घाटी पर हमला किया था. भारतीय पैदल सैनिकों ने आखिरकार कश्मीर को कबायलियों के चंगुल से 27 अक्टूबर, 1947 को मुक्त करा लिया. चूंकि इस पूरे सैन्य अभियान में सिर्फ पैदल सेना का ही योगदान था, इसलिए इस दिन को भारतीय थल सेना के पैदल सैनिकों की बहादुरी और साहस के दिन के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया.

यहां हम आपको बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी इंफेंट्री डिविजन भारत में है. भारतीय सेना में कुल 380 इंफेंट्री बटालियन और 63 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन हैं. इस हिसाब से इंफेंट्री की तादाद भारतीय सेना में सबसे ज्यादा है. इंफेंट्री में अलग-अलग रेजिमेंट्स हैं जैसे राजपूत रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट.

इनमें से कई रेजिमेंट्स तो 250 साल से ज्यादा पुरानी हैं. इसके साथ एक और गौरवशाली दिन भी है जो सेना की वीरता की याद दिलाता है. बता दें कि आज कुमाऊं रेजिमेंट दिवस भी है. कुमाऊं रेजिमेंट भी एक इंफेंट्री रेजिमेंट है जिसे 1945 में आज ही के दिन अपना नाम यानी कुमाऊं रेजिमेंट मिला था.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version