शरदोत्सव विशेष: शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के साथ मां लक्ष्मी और विष्णु की होती है उपासना

यह पर्व मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए खास माना जाता है. कहते हैं इस रात मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती हैं. बता दें कि चंद्रमा, माता लक्ष्मी और विष्णु की पूजा का विधान है. शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इस वजह से देश के कई हिस्सों में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे ‘कोजागरी लक्ष्मी पूजा’ के नाम से जाना जाता है.

इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। लक्ष्मी के आठ रूप धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें और मंदिर को साफ करें. इसके बाद पूजा के लिए एक साफ चौकी में लाल या पीले रंग का कपड़ा डालकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखें.

इसके बाद गंगाजल छिड़कें और फूल, माला चढ़ाकर सिंदूर, रोली, अक्षत लगाएं फिर सफेद या पीले रंग का भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाते हुए कथा पढ़ें.

विवाहित महिलाओं के लिए शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से मनोकामनाएं होती है पूरी

कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जो विवाहित स्त्रियां इसका व्रत करती हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. जो माताएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्चे दीर्घायु होते हैं. नारद पुराण के अनुसार इस दिन रात में मां लक्ष्मी अपने हाथों में वर और अभय लिए घूमती हैं. जो भी उन्हें जागते हुए दिखता है उन्हें वह धन-वैभव का आशीर्वाद देती हैं.

शरद पूर्णिमा का चमकीला चांद और साफ आसमान मानसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में औषधिय गुण मौजूद रहते हैं जिनमें कई असाध्य रोगों को दूर करने की शक्ति होती है. साथ ही शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर उसे आकाश के नीचे रखा जाता है. फिर 12 बजे के बाद उसका प्रसाद ग्रहण किया जाता है. माना जाता है कि इस खीर में अमृत होता है और यह कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है.

मान्यता है, इस रात कृष्ण की बजाई बांसुरी पर गोपियां खींची चली आईं थी

शरद पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण के मंदिराें गर्भगृह में शरद का खाट सजाया जाता है. खाट पर चौसर और शतरंज की झांकी भी सजाई जाती है. चंद्रमा की शीतल चांदनी में रखी खीर का भोग भी ठाकुरजी को अर्पण किया जाता है.

श्रीमद्भगवद्गीता के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने ऐसी बांसुरी बजाई कि उसकी जादुई ध्वनि से सम्मोहित होकर वृंदावन की गोपियां उनकी ओर खिंची चली आईं. ऐसा माना जाता है कि कृष्ण ने उस रात हर गोपी के लिए एक कृष्ण बनाया. पूरी रात कृष्ण गोपियों के साथ नाचते रहे, जिसे ‘महारास’ कहा जाता है.

मान्यता है कि कृष्ण ने अपनी शक्ति के बल पर उस रात को भगवान ब्रह्म की एक रात जितना लंबा कर दिया. ब्रह्मा की एक रात का मतलब मनुष्य की करोड़ों रातों के बराबर होता है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

मुख्य समाचार

पहलगाम आतंकी हमले में बड़ी सफलता, आतंकियों को पनाह देने वाले दो लोग गिरफ्तार

पहलगाम आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)...

विज्ञापन

Topics

More

    पहलगाम आतंकी हमले में बड़ी सफलता, आतंकियों को पनाह देने वाले दो लोग गिरफ्तार

    पहलगाम आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)...

    अमेरिका ने ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर किया अटैक

    अमेरिका ने ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर अटैक...

    Related Articles