सोमवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से अपने धाम के लिए अद्वितीय प्रवास किया। सेना की बैंड धुनों की शोरगुल के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों के मधुर संगीत के साथ,और भक्तों के उत्साहजनक जयकारों के साथ, डोली ने अपना आगमन किया। प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में पहुंचकर यह अद्वितीय यात्रा का आरंभ हुआ।
गर्भगृह में विराजमान भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार मद्महेश्वर और ओंकारेश्वर भगवान के सामने पुजारी बागेश लिंग ने पूजा का आयोजन किया। यहाँ भक्तों ने भगवान के लिए भक्तिभाव से महाभिषेक पूजा की और उन्हें महाभोग चढ़ाया। इसके बाद, पुजारी बागेश लिंग, पुजारी टी. गंगाधर लिंग, और पुजारी शिव लिंग ने ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से चल उत्सव विग्रह मूर्ति को पंचकेदार गद्दीस्थल में स्थापित किया, जहाँ उनके आगमन से आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
बाबा केदार की जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली को जिलाधिकारी डाॅ. सौरभ गहरवार ने हक-हकूकधारियों के साथ कंधे पर उठाकर विदा किया। आज मंगलवार को बाबा केदार की डोली ने अपने दूसरे पड़ाव के लिए प्रस्थान किया।