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देवभूमि में हैं दुर्योधन और कर्ण के मंदिर, यहां घूमने से पहले जान लें खास बातें

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दुर्योधन मंदिर

अक्सर हम खबरों में सुनते हैं कि किसी जगह से महाभारत के साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चलता है कि महाभारत सिर्फ एक काव्यग्रंथ नहीं है बल्कि एक वास्तविकता है. साथ ही पूरे भारत में महाभारत काल से जुड़ी मंदिर, ऐतिहासिक जगह और संदर्भ भी मौजूद हैं, जिसे हर कोई देखना चाहता है, ऐसा ही एक मंदिर है देवभूमि यानी उत्तराखंड में बना महाभारत के खलनायक दुर्योधन का मंदिर.

कर्ण मंदिर के पास है दुर्योधन मंदिर
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में दुर्योधन के मंदिर तो हैं ही कर्ण का भी मंदिर है. नेतवार से 12 किलोमीटर दूर ‘हर की दून’ सड़क पर स्थित ‘सौर’ गांव में दुर्योधन का यह मंदिर है. कर्ण मंदिर नेतवार से करीब डेढ़ मील दूर ‘सारनौल’ गांव में है.

भुब्रूवाहन की भूमि पर बना है दुर्योधन का मंदिर
इन गांवों की यह भूमि भुब्रूवाहन नामक महान योद्धा की धरती है. मान्यता है कि भुब्रूवाहन पाताल लोक का राजा था और कौरवों और पांडवों के बीच कुरूक्षेत्र में हो रहे युद्ध का हिस्सा बनना चाहता था. अपने हृदय में युद्ध की चाहत लिए वह धरती पर तो आ गया लेकिन भगवान कृष्ण उसे युद्ध का हिस्सा नहीं बनने दिया क्योंकि उनके मुताबिक ये युद्ध न्याय-अन्याय के बीच था. भुब्रूवाहन युद्ध तो नहीं लड़ सका, लेकिन कर्ण और दुर्योधन का प्रशंसक था. जिसकी वजह से मरने के बाद दोनों का मंदिर यहां बनवाया गया.

घूमने से पहले जान लें खास बातें
अगर आप महाभारत के दुर्योधन के प्रति घृणा भाव रखते हैं, तो इस मंदिर में सोच-समझकर कदम रखें, क्योंकि आपको पूरा मंदिर दुर्योधन की आरती और पूजा हवन से गूंजता दिखेगा, जिससे आपको परेशानी हो सकती है.

किसी भी बिजली से चलने वाले उपकरण कैमरा, मोबाइल, वीडियो रिकॉर्डर को अंदर ले जाने की इजाजत नहीं है.

आपको यहां प्रसाद मिलेगा, जिसे आपको मंदिर में ही ग्रहण करना होगा.

मंदिर के अलावा आप इस छोटे से खूबसूरत गांव में भी घूम सकते हैं.

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