साल 2025 में उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों पर मानसून काल में बादल फटने, बाढ़ आने, भूस्खलन और अन्य कारणों से 225 लोग अपनी जान गवां बैठे. इसमें से 89 लोग आज भी मिसिंग हैं. मिसिंग में सबसे अधिक 69 लोग उत्तरकाशी से हैं, जिसमें से अकेले 67 लोग धराली में पांच अगस्त को आई आपदा के बाद से लापता हैं. धराली आपदा में 69 लोग मारे गए थे, जिनमें से अभी तक केवल दो लोगों के ही शव बरामद हुए हैं.
इसके अलावा रुद्रप्रयाग में 9, पौड़ी में 7 देहरादून में 2 लोग आज भी लापता हैं. सामान्य तौर पर लापता लोगों को मृत घोषित करने के लिए सात साल का इंतजार करना होता है. ऐसे में आपदा में लापता चल रहे लोगों के परिजन परेशान हैं. न उनको डेथ सर्टिफिकेट मिल पा रहा है और न ही उनको मुआवजा मिल पा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने मानकों में विशेष छूट दी है.
केंद्र के निर्देश के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार लापता व्यक्ति के परिजनों द्वारा अपने निवास स्थान पर जो जिस भी प्रदेश का रहने वाला है, शपथ पत्र के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. संबंधित रिपोर्ट को उस पुलिस थाने को भेजा जाएगा, जहां से व्यक्ति लापता हुआ.
पुलिस लापता व्यक्ति के साक्ष्य राशन कार्ड, आधार कार्ड, परिवार रजिस्टर की नक़ल को प्राप्त कर संबंधित क्षेत्र के जहां घटना हुई है, एसडीएम को भेजेगी. एसडीएम लापता व्यक्तियों की सूची सरकारी वेबसाइट पर पब्लिश कर आपत्ति मांगेगा. जिसका समय एक महीने का होगा. अगर कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है तो एसडीएम मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेगा. फर्स्ट फेज में धराली आपदा में लापता लोगों के लिए सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है.