भारत के साथ तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने पाकिस्तान को कर्ज देने पर मुहर लगा दी. लेकिन पाकिस्तान को कर्ज देने के बाद अब आईएमएफ खुद ही घबरा गया है. दरअसल, पाकिस्तान को कर्ज देने के बाद आईएमएफ को अब अपना पैसा डूबने का डर सता रहा है. जिसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान के सामने कुछ शर्तें रख दी हैं. आईएमएफ ने पाकिस्तान को लोन की पहली किश्त जारी करने से पहले ही 11 शर्तें लागू कर दी हैं. इसके साथ ही आईएमएफ ने भारत-पाक तनाव को आर्थिक कार्यक्रम के लिए गंभीर जोखिम बताया है. जिसे लेकर चेतावनी जारी की है. मीडिया रिपोर्ट्स में रविवार को इस बारे में जानकारी सामने आई है.
आईएमएफ ने पाकिस्तान पर लगाई ये शर्तें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने स्टाफ-लेवल रिपोर्ट में इन सभी 11 शर्तों का जिक्र किया है.
- आईएमएफ की शर्तों के मुताबिक, पाकिस्तान को अगले वित्त वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये के संघीय बजट को संसद से पारित कराना अनिवार्य होगा.
- इसके साथ ही बिजली बिलों पर अधिभार में वृद्धि. और उसे उपभोक्ताओं पर पहले से अधिक ऋण पुनर्भुगतान शुल्क लागू करना होगा.
- पुरानी कारों के आयात पर लगे प्रतिबंध हटाना होगा. जबकि चार संघीय इकाइयों द्वारा नया कृषि आयकर कानून लागू करना. इससे टैक्स पेयर्स की पहचान, रिटर्न प्रोसेसिंग, अनुपालन सुधार और संचार अभियान शामिल हैं.
- समयसीमा को जून 2025 तक किया जाना.
- आईएमएफ सिफारिशों के आधार पर संचालन सुधारों की कार्य योजना प्रकाशित करेगा.
- इसके साथ ही पाकिस्तान को 2027 के बाद की वित्तीय क्षेत्र की रणनीति तैयार कर उसे सार्वजनिक करना.
- ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी चार अतिरिक्त शर्तें, जिनमें टैरिफ निर्धारण, वितरण सुधार और वित्तीय पारदर्शिता शामिल है.
- इसके साथ ही आईएमएफ ने भारत के साथ तनाव को बताया खतरा है. IMF ने अपनी रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी है कि भारत-पाक तनाव की मौजूदा स्थिति, विशेषकर हालिया सैन्य गतिविधियां, पाकिस्तान की राजकोषीय स्थिति, बाह्य खातों और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों पर सीधा असर पड़ सकता है.
- आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का आगामी रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये अनुमानित है, जो पिछले वर्ष से 12 प्रतिशत ज्यादा है.
- IMF की नई 11 शर्तों के साथ पाकिस्तान पर अब तक कुल 50 शर्तें लागू हो चुकी हैं. आईएमएफ की ये शर्तें सिर्फ वित्तीय संतुलन ही नहीं, बल्कि संस्थागत पारदर्शिता और शासन सुधार की दिशा में भी गहन हस्तक्षेप के बारे में इशारा करती हैं. आईएमएफ से कर्जा लेने से पहले पाकिस्तान को अब न सिर्फ इन सभी शर्तों को पूरा करना है, बल्कि क्षेत्रीय तनाव को शांत कर आर्थिक स्थायित्व हासिल करने की भी चुनौती है.