वैदिक पंचांग के अनुसार हिंदू धर्म में तिथियों की गणना सूर्य और चंद्रमा की चाल पर निर्धारित होती है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर में एक दिन की अवधि 24 घंटे ही होती है. संवत में चार बार नवरात्रि का आगमन होता है, जिसमें दो बार प्रकट नवरात्रि और दो बार गुप्त नवरात्रि के व्रत किए जाते हैं. आश्विन मास में पितृपक्ष पूर्ण होते ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं और शक्ति की देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है.
कब से शुरू हो रहा है नवरात्र
साल 2025 में 22 सितंबर से शादी नवरात्रि शुरू होंगे इस दौरान घट स्थापना करने के बाद ही शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा अर्चना, व्रत आदि करने से संपूर्ण लाभ मिलेगा. नवरात्रि में घट स्थापना की पूरी जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान धर्माचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि संवत में नवरात्रि का चार बार आगमन मानव कल्याण के लिए होता है जिसमें दो बार गुप्त नवरात्रि और दो बार प्रकट नवरात्रि के व्रत किए जाते हैं.
घट स्थापना करने के बाद ही व्रत किए जाते हैं
सभी नवरात्रि के व्रत शुरू करने से पूर्व शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में विधि विधान से घट स्थापना करने के बाद ही व्रत किए जाते हैं. साल 2025 में शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 22 सितंबर सोमवार से होगा. इसी दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करने के बाद देवी दुर्गा के निमित्त व्रत किए जाएंगे.
घट स्थापना का महत्व
घट स्थापना करने के लिए कुछ सामान का होना बेहद जरूरी है. घट स्थापना में तिल, जौ, मिट्टी, लाल या पिला कपड़ा, दूर्वा, कलावा, गंगाजल, सुपारी, अक्षत, सिक्का, आम के पत्ते, श्रीफल और कलश का होना बेहद जरूरी है. साफ मिट्टी को एक पत्र में फैला कर उसमें जो को डाल दें और ऊपर से मिट्टी की एक और परत बना दें.
क्या है शुभ मुहूर्त
कलश के ऊपर कलावा बांधकर उसमें अंदर गंगाजल, अक्षत, सुपारी, सिक्का आदि डाल दें और उसके ऊपर आम के पत्ते रखकर नारियल पर कलावा बांधकर रख दे. घट स्थापना का यह धार्मिक अनुष्ठान करने के बाद देवी दुर्गा का आवाहन, पूजा पाठ, आरती करने से सभी मनोरथ पूर्ण होने की धार्मिक मान्यता है. साल 2025 में होने वाले शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्तसुबह 6:08 से 8:06 तक यानी 1 घंटा 58 मिनट का होगा. इस समय के अंतराल में ही घट स्थापना करने का संपूर्ण फल प्राप्त होगा.