तंबाकू निषेध डे विशेष: देर होने से पहले बनें समझदार, अच्छी सेहत के लिए तंबाकू छोड़ने और छुड़ाने का लें ‘संकल्प’

आज 31 मई है. महीने की आखिरी तारीख हमेशा से बदलाव और संकल्पों की साक्षी रही है. इसके बाद नए महीने की शुरुआत होती है. पिछले महीनों की कमियों को भूलकर ‘नए इरादों’ के साथ मनुष्य आगे बढ़ता है. कल मंगलवार को एक जून शुरू हो रहा है. यानी नया करने की शुरुआत. आज मई के आखिरी दिन कुछ ऐसा करें जिससे आपका स्वास्थ्य भी सही रहे. आइए अब बात को आगे बढ़ाते हैं. 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है.

इस मौके पर तंबाकू से होने वाली हानियों के बारे में चर्चा करेंगे.भागदौड़ भरे जीवन में ऐसे ही तमाम बीमारियां लोगों को घेरती जा रही हैं. मनुष्य को एक जीवन मिला हैै, इसको भरपूर हर दिन हर पल खूब ‘इंजॉय’ कर के जियो. कोई भी मादक व्यसन का उपयोग न करें, यह हमारे शरीर को बहुत तेजी से नुकसान पहुंचाते हैं, जब तक हम उसके बारे में जान पाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है. तंबाकू यह ऐसा नशा है जिसको ‘धीमा जहर’ भी कहा जाता है.

वैसे यह भी सच है कि कोरोना महामारी के दौरान देश और दुनिया के लोग अपनी सेहत के प्रति बहुत सचेत हुए हैं. अगर आप तंबाकू के आदी हैं तो आज अच्छे जीवन और स्वस्थ शरीर के लिए ‘संकल्प’ लीजिए कि इसका सेवन कभी नहीं करेंगे.

हर वर्ष वर्ल्ड नो टोबैको डे पर जो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं वो इसी विशेष थीम पर आधारित होते हैं. कोरोना के चलते इस वर्ष ज्यादातर कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से आयोजित होंगे.

क्‍या है इस बार की थीम
इस बार ‘विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस’ की थीम है– ‘पर्यावरण की रक्षा करें’. बता दें कि पिछले साल इस दिवस की थीम “कमिट टू क्विट” थी

तो आइए इस बार संकल्प लें कि तंबाकू रूपी जहर को हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे. विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर तंबाकू या इसके उत्पादों के उपभोग पर रोक लगाने या इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू से होने वाले स्वस्थ्य नुकसान के विषय में सचेत करना है.

इसमें सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और खैनी जैसे तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग शामिल हैं. तंबाकू के प्रति के युवा वर्ग भी बहुत तेजी के साथ आकर्षित होते जा रहे हैं.‌ आप भी तंबाकू छोड़िए और जो लोग इसका सेवन कर रहे हैं उनको भी इसकी आदत छुड़वाइए.

वर्ष 1987 में पहला विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने की हुई थी शुरुआत
साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मृत्युदर में वृद्धि को देखते हुए इसे एक महामारी माना. इसके बाद पहली बार 7 अप्रैल 1988 को डब्ल्यूएचओ की वर्षगांठ पर मनाया गया और जिसके बाद हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

गौरतलब हैै कि भारत समेत दुनिया भर के तमाम देशों में युवाओं में इसकी लत तेजी के साथ लगती जा रही है. यहां हम आपको बता रहेे हैं कि तंबाकू के सेवन करने से यह बीमारियां होती हैं. कैंसर-फेफड़ों और मुंह का कैंसर होना, फेफड़ों का खराब होना, दिल की बीमारी, आंखों से कम दिखना, मुंह से दुर्गंध आदि.

एक ओर भारत समेत दुनियाभर के देशों में इसके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, तो दूसरी ओर कंपनियां तंबाकू उत्पादों को युवाओं और महिलाओं में लोकप्रिय करने की कोशिश कर रही हैं.

तंबाकू विरोधी अभियानों पर दुनिया के देश जितना खर्च करते हैं, उससे पांच गुना ज्यादा वे तंबाकू पर टैक्स लगाकर कमाते हैं. आज इस मौके पर आइए हम सब लोग समाज के जिम्मेदार नागरिक बने और उसको छोड़ने और छुड़ाने का संकल्प लें.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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