भारतीय वायुसेना (IAF) इस साल सितंबर तक अपने पुराने हो चुके मिग-21 लड़ाकू विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटा देगी. इस विमान का संचालन करने वाली स्क्वाड्रनें वर्तमान में राजस्थान के नाल एयरबेस पर हैं. इन विमानों की जगह स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस मार्क 1A लेंगे. रक्षा अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है.
मिग-21 लड़ाकू विमान दशकों से भारतीय वायुसेना की रीढ़ रहे हैं, लेकिन लगातार हादसों और पुराने पड़ जाने के कारण इन्हें सेवा से हटाने का फैसला लिया गया है. मिग-21 को “उड़ता ताबूत” भी कहा जाने लगा, क्योंकि पिछले कुछ दशकों में इससे जुड़े कई हादसे हुए हैं, जिनमें कई पायलटों की जान गई है.
LCA मार्क 1A फाइटर जेट लेगी जगह
मिग- 21 के रिटायर होने के बाद इसकी जगह स्वदेशी तेजस Mark-1A लड़ाकू विमान लेंगे.
तेजस की डिलीवरी में देरी होने के कारण मिग- 21 को कई बार जीवनकाल में बढ़ाकर उड़ान में बनाए रखा गया.
तेजस Mark-1A हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है.
यह 4.5 जनरेशन का मल्टी-रोल फाइटर जेट है.
इसमें कई आधुनिक उपकरण शामिल हैं, जिनमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड ऐरे (AESA) रडार, बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल क्षमता और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट शामिल हैं.
यह हवा से हवा और हवा से सतह पर मार करने में सक्षम है.
मिग-21 को पहली बार 1963 में ट्रायल के आधार पर सेवा में रखा गया था. यह रूसी निर्मित जेट 2000 के दशक के मध्य तक वायु सेना की रीढ़ बना रहा और उसके बाद सुखोई Su-30MKI को लाया गया.
अक्टूबर 2023 में नंबर- 4 स्क्वाड्रन के मिग-21 फाइटर जेट ने आखिरी बार राजस्थान के बाड़मेर शहर के ऊपर से उड़ान भरी थी. तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था, “हम 2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ाना बंद कर देंगे और उनकी जगह LCA Mark-1A ले लेंगे.”