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नहीं रहे ‘लौंडा नाच’ को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले रामचंद्र मांझी, मोदी सरकार ने पद्मश्री से किया था सम्मानित

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रामचन्द्र मांझी

सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा के तुजारपुर निवासी भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी रामचन्द्र मांझी का निधन हो गया है. लोक कलाकार स्वर्गीय भिखारी ठाकुर के जीवित शिष्यों में से सबसे बुज़ुर्ग शिष्य और उनके साथ लगभग तीस साल तक काम कर चुके रामचंद्र मांझी के निधन से ना केवल भोजपुरी बल्कि पूरे कला जगत में शोक है. वह ये लगभग 10 साल की उम्र से भिखारी ठाकुर की नाच पार्टी से जुड़ कर उनके नाटकों में अभिनय एवं नृत्य करते थे.

लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले रामचंद्र मांझी ने पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बुधवार देर रात अंतिम सांस ली. वे हार्ट ब्लॉकेज और इंफेक्शन की समस्या से जूझ रहे थे. साथ ही आयु संबंधी कई समस्याएं भी उन्हें रहीं. उन्हें पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी समेत अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. रामचंद्र माझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का सुनहरा अध्याय भी बंद हो गया.

84 वर्ष के मांझी को मंत्री जितेंद्र राय की पहल पर उन्‍हें आइजीआइएमएस में भर्ती कराया गया था. पांच दिनों से वे इलाजरत थे. विडंबना रही कि बिहार का कोई भी कलाकार पिछले 5 दिनों में रामचंद्र मांझी को देखने अस्पताल नहीं गया. उनके निधन पर सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने का सिलसिला चल रहा है.

जितेंद्र कुमार राय ने ट्विटर पर लिखा- मेरे विधानसभा क्षेत्र के लिए अपूर्ण क्षति….. . आज सारण सहित बिहार के गौरव बिखारी ठाकुर जी के सहयोगी पद्मश्री सम्मानित श्री रामचंद्र मांझी जी अब इस दुनिया को अलविदा कह दिए, हम सभी उनको स्वस्थ होने के लिए काफ़ी प्रयास किया लेकिन आज इलाज के दौरान वो इस दुनिया को अलविदा कह दिए. मैं अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं परिवार वाले को इस दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.

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