झारखंड: केंद्र का बड़ा फैसला, सम्मेद शिखर पर पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश

झारखंड के गिरिडीह जिले के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय के पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है. केंद्र ने सम्मेद शिखर पर पर्यटन एवं ईको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगा दी है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी अधिसूचना में यह बात कही गई है.

केंद्र सरकार ने तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस ले लिया. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार पवित्र जैन धार्मिक स्थल ‘सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र’ में सभी पर्यटन एवं ईको टूरिज्म गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी है. इसके साथ इन पाबंदियों और नियमों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए. इसके साथ ही पारसनाथ पर्वत क्षेत्र में ड्रग्स और नशीले पदार्थों की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल पर भी सख्ती से पाबंदियां लगा दी है.

इसके साथ केन्द्र सरकार ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत इस संबंध में जारी अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावी निगरानी के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया है. इसके तहत राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि समिति में जैन समुदाय से दो सदस्य और स्थानीय आदिवासी समुदाय से एक सदस्य को स्थायी आमंत्रित के रूप में रखा जाए, जिससे महत्वपूर्ण हितधारकों द्वारा उचित भागीदारी और निरीक्षण किया जा सके.

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने ट्वीट करके कहा कि सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र न केवल जैन समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक पवित्र जैन धार्मिक स्थान है और मंत्रालय इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्र की मोदी सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.

क्या है पूरा मामला
जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र में 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है. जैन समुदाय के इस पवित्र धार्मिक स्थल को फरवरी 2019 में झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया. उसी साल अगस्त में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता है.

सरकार के इस फैसले के खिलाफ जैन समाज ने विरोध जताते हुए श्री सम्मेद शिखर को धार्मिक स्थल ही रहने की अपील की. उनका कहना है कि इसके पर्यटन स्थल बनने से इस धार्मिक स्थान की पवित्रता भंग हो जाएगी. जैन समाज ने इस पर विरोध प्रदर्शन भी किया. इसी संबंध में सीएम सोरेन ने राज्य में बढ़ते बवाल को देखते हुए केंद्रीय मंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है.

इस बीच सरकार के इस फैसले के विरोध में राजस्थान के सांगानेर में अनशन करते हुए जैन मुनि सुज्ञेयसागर जी ने मंगलवार को देह त्याग दिया. इसके बाद जैन धर्मावलंबियों का आक्रोश और उबल पड़ा जिसके बाद गुरुवार को केन्द्र सरकार ने इस संबंध पहले जारी अधिसूचना को तुरंत प्रभाव से वापस लेते हुए राज्य सरकार को सख्ती से नियम लागू करने के निर्देश जारी किए.




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