सहारा ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, दो लोग गिरफ्तार

सहारा ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें सहारा ग्रुप के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट (सीसीएम) ऑफिस के कार्यकारी निदेशक अनिल अब्राहम और ग्रुप के लंबे समय से सहयोगी एवं प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा (जेपी वर्मा) शामिल हैं.

कोलकाता स्थित ईडी की क्षेत्रीय शाखा ने अनिल अब्राहम और जितेंद्र वर्मा को गिरफ्तार किया. दोनों आरोपी फिलहाल ईडी की रिमांड पर हैं. शनिवार को दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें सोमवार तक ईडी रिमांड पर भेज दिया गया.

ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, अनिल अब्राहम ने सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री में समन्वय और सुविधा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाई. इनमें से कई संपत्तियों की बिक्री में नकदी शामिल थी, जिसे अवैध रूप से बाहर भेजा गया. वहीं, जितेंद्र प्रसाद वर्मा इन सौदों को क्रियान्वित करने में शामिल थे और नकद लेन-देन के जरिए अवैध धन को इधर-उधर करने में मदद कर रहे थे.

ईडी ने आगे कहा कि दोनों ने अपराध की आय को छिपाने की कोशिश की. जांच एजेंसी ने पीएमएलए के तहत चलाए गए तलाशी अभियान के दौरान कई आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य मिलने का भी दावा किया है. ईडी ने कहा कि जानबूझकर साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा था, ताकि जवाबदेही से बचा जा सके.

ईडी के अनुसार, विभिन्न डिजिटल साक्ष्यों से पता चला है कि इन दोनों व्यक्तियों (अनिल अब्राहम और जेपी वर्मा) ने ऐसी संपत्तियों के निपटान और सहारा ग्रुप के प्रमोटरों को धन की हेराफेरी में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रमोटर भारत से बाहर रहते हुए इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल थे.

ईडी ने ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस की ओर से दर्ज तीन एफआईआर के आधार पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. तीन राज्यों की पुलिस ने हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) और अन्य के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे.

ईडी ने जानकारी दी कि सहारा ग्रुप की अलग-अलग संस्थाओं के खिलाफ 500 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 300 से ज्यादा पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराधों से संबंधित हैं. इन शिकायतों में निवेशकों को धोखा देने, जबरन दोबारा निवेश कराने और मैच्योरिटी भुगतान न देने का आरोप लगाया गया.

ईडी ने दावा किया कि सहारा ग्रुप ने एचआईसीसीएसएल, एससीसीएसएल, एसयूएमसीएस, एसएमसीएसएल, एसआईसीसीएल, एसआईआरईसीएल, एसएचआईसीएल जैसी संस्थाओं के माध्यम से एक पोंजी स्कीम चलाई, जिसमें हाई रिटर्न और कमीशन का झांसा देकर निवेशकों और एजेंटों को फंसाया गया.

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