रिटायरमेंट के बाद पूर्व सीजीआई चंद्रचूड़ ने खाली नहीं किया अपना सरकारी आवास, सुप्रीम कोर्ट ने बरती सख्ती

पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने रिटायरमेंट के बाद अब तक अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया है. इसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने अब सख्ती बरती है. दरअसल, इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ से सरकारी आवास खाली करवाने को कहा गया है. चिट्ठी में कहा गया है कि नियमों के मुताबिक रिटायरमेंट के इतने दिनों तक कोई सरकारी आवास में नहीं बना रह सकता है.

बता दें कि पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पिछले साल 10 नवंबर को सेवानिवृत हुए थे. वे इस पद पर करीब दो साल तक रहे. सीजेआई के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ को आवास के तौर पर 5 कृष्ण मेनन मार्ग बंगला आवंटित किया गया था. जो टाइप 8 का बंगला है. नियमों के तहत सेवानिवृत्ति होने के बाद पूर्व सीजेआई को ये बंगला खाली कर अस्थायी निवास के तौर पर आवंटित किए गए टाइप 7 बंगला में शिफ्ट होना था. हालांकि, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से 30 अप्रैल 2025 तक 5 कृष्ण मेनन मार्ग बंगले में रहने की अनुमति ली थी. लेकिन वर्तमान चीफ जस्टिस बी आर गवई ने उन्हें 31 मई तक इस बंगले में रहने की अनुमति दी थी. तय समयसीमा खत्म होने के बाद भी पूर्व सीजेआई ने अपना बंगला खाली नहीं किया.

इस संबंध में अब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने सरकार को चिट्टी लिखी है. जिसमें कहा गया है कि रिटायरमेंट के 8 महीने बाद भी पूर्व सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने बंगला खाली नहीं किया है. उनके अनुरोध पर शीर्ष अदालत ने 31 मई तक बंगले में रहने की अनुमति दी थी. वह अवधि भी पूरी हो चुकी है. वहीं नए जजों को आवास के आवंटन में समस्या हो रही है. इसलिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से तत्काल बंगला खाली करवाया जाए.

बता दें कि दिल्ली स्थित 5 कृष्ण मेनन मार्ग आधिकारिक तौर पर भारत के चीफ जस्टिस निवास है, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ के बाद चीफ जस्टिस बने न्यायाधीश संजीव खन्ना और वर्तमान चीफ जस्टिस बी आर गवई ने उन्हीं बंगलों में रहना उचित समझा, जिनमें वह अब तक रह रहे थे. इसीलिए पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ को आधिकारिक निवास में अधिक समय तक रहने का अवसर मिल गया.

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