बिहार चुनाव से पहले बीजेपी को लगा बड़ा झटका, वरिष्ठ नेता मिश्रीलाल यादव ने पार्टी से दिया इस्तीफा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोर-शोर से चल रही है और इसके साथ ही सियासी समीकरण भी तेजी से बदल रहे हैं. इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा सीट से विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता मिश्रीलाल यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. चुनाव से पहले उनके इस्तीफे ने हलचलें बढ़ा दी हैं. यादव ने अपना इस्तीफे ऐसे वक्त पर दिया है जब एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर तैयारी अंतिम रूप में है.

ये पहली बार नहीं है जब मिश्रीलाल यादव ने दल बदला हो. ये उनकी पुरानी आदत है. साल 2020 में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. उस समय वीआईपी एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी. लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने वीआईपी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.

अब एक बार फिर चुनाव का वक्त नजदीक आया और मिश्रीलाल यादव अपना कोई और की समीकरण देख लिया. यही वजह है कि उन्होंने चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से भी इस्तीफा दे दिया है, जिससे पार्टी में हलचल मच गई है.

राजनीतिक सूत्रों की मानें तो मिश्रीलाल यादव का अगला कदम राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर हो सकता है. हालांकि, उन्होंने आधिकारिक रूप से इस पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोरों पर है.

बीजेपी में मिश्रीलाल यादव का टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा था. पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं. इसके अलावा, संगठनात्मक कार्यों में भी उनकी भागीदारी कमजोर मानी जा रही थी.

ऐसे में मिश्रीलाल ने समय रहते खुद को किसी अन्य दल में स्थापित करने की रणनीति अपनाई है, ताकि वे चुनावी मैदान में फिर से उतर सकें.

बीजेपी से विधायक का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब पार्टी पहले से ही एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों से बातचीत में उलझी हुई है. ऐसे में मिश्रीलाल यादव का जाना पार्टी के लिए मानसिक और राजनीतिक दबाव दोनों बढ़ा सकता है.

बिहार की राजनीति में दल बदल कोई नई बात नहीं है, लेकिन चुनावी मौसम में ऐसे घटनाक्रम खास अहमियत रखते हैं. मिश्रीलाल यादव का बीजेपी छोड़ना न सिर्फ एनडीए के लिए झटका है, बल्कि यह संकेत भी है कि आने वाले दिनों में और भी नेता राजनीतिक नफा-नुकसान के हिसाब से अपने पाले बदल सकते हैं. बता दें कि एक दिन पहले 4 जेडीयू नेताओं ने पार्टी छोड़ आरजेडी का दामन थाम लिया है. ऐसे में देखा जाए तो आरजेडी तेजी से अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटी है.

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