Home ताजा हलचल निजीकरण किया खत्म: 53 साल पहले इंदिरा सरकार ने बैंकिंग का बदला...

निजीकरण किया खत्म: 53 साल पहले इंदिरा सरकार ने बैंकिंग का बदला था सिस्टम, 14 निजी बैंकों का किया राष्ट्रीयकरण

0

आज से 53 साल पहले यानी 19 जुलाई 1969 को इंदिरा सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला करते हुए देश के 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था. यह इंदिरा सरकार के पूरे कार्यकाल में बड़े फैसलों में से एक माना जाता है. हालांकि इसका विरोध भी खूब हुआ था. इन 14 बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा था. 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक, यूनाइटेड बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं. राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर 1980 में आया, जिसके तहत सात और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. 19 जुलाई 1969 के बाद वर्ष 1980 में भी करीब सात बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

जिन सात बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, उनमें आंध्रा बैंक, कारपोरेशन बैंक, न्यू बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक और विजया बैंक आदि शामिल हैं. बता दें कि 19 जुलाई 1969 में आज के ही दिन तब प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी एक ऑर्डिनेंस लाईं, ‘बैंकिंग कम्पनीज आर्डिनेंस.’ इसके जरिए देश के 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. जिन 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, उनके पास देश की करीब 80 फीसदी जमा पूंजी थी. इंदिरा के इस फैसले का उनके वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने विरोध किया. इसके बाद इंदिरा ने मोरारजी देसाई का मंत्रालय बदलने का आदेश दे दिया. इससे नाराज होकर देसाई ने पद से इस्तीफा दे दिया था. उस दौर में 14 बड़े बैंकों के पास देश की करीब 70 फीसदी पूंजी हुआ करती थी. बैंक प्राइवेट थे, इसलिए वह उन्हीं सेक्टर में पैसा लगाते थे, जहां से उन्हें ढेर सारा मुनाफा मिल सके. वहीं इंदिरा गांधी सामाजिक, कृषि, लघु उद्योग और निर्यात जैसे सेक्टर में इन पैसों का इस्तेमाल करना चाहती थीं. 14 बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पीछे यह एक बड़ी वजह थी.

वहीं दूसरी ओर एक रिपोर्ट के मुताबिक 1947 से लेकर 1955 तक करीब 360 छोटे बैंक डूब गए, जिनमें लोगों का जमा करोड़ों रुपया भी डूब गया. कई बैंक काला बाजारी और जमाखोरी के धंधों में पैसे लगाने लगे. ऐसे में राष्ट्रीयकरण एक जरूरी कदम हो गया, ताकि ऐसे बैंकों पर भी लगाम कसी जा सके. साथ ही इससे जनता का पैसा सुरक्षित करने का एक मौका भी मिला. वहीं साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद भी कई बैंकों में विलय किए गए. एसबीआई के सब्सिडियरी बैंकों का आपस में विलय के करीब दो साल बाद सरकार ने वर्ष 2019 में करीब 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का आपस में विलय कर दिया. वर्ष 2019 में जिन बैंकों का आपस में विलय किया गया, उनमें ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया. इसके अलावा, सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और देना बैंक व विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा ऑफ बड़ौदा में विलय किया गया.

–शंभू नाथ गौतम

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version