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पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, समिति को कुल 29 फोन दिए गए 5 में गड़बड़ियां मिली

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सुप्रीमकोर्ट

पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रिपोर्ट तीन भागों में प्रस्तुत की गई है. तकनीकी समिति की दो रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन द्वारा देखरेख समिति की एक रिपोर्ट सामने रखी गई है.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जहां तक तकनीकी समिति की रिपोर्ट का संबंध है, ऐसा प्रतीत होता है कि 29 फोन समिति को दिए गए थे और उन्हें कुछ मैलवेयर मिले हैं. 29 में से 5 फोन में कुछ मैलवेयर थे लेकिन यह नहीं बताया कि यह पेगासस के कारण था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तकनीकी समिति ने निष्कर्ष निकाला कि इन पांच फोनों में खराब साइबर सुरक्षा पर मैलवेयर है. हम देखेंगे कि हम इस रिपोर्ट को कितना जारी कर सकते हैं.

पेगासस कांड में कब क्या हुआ
18 जुलाई, 2021:
एक ग्लोबल इंवेस्टिगेटिव जांच से पता चला कि इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर ने भारत में 300 से अधिक मोबाइल फोन नंबरों को टारगेट किया, जिसमें नरेंद्र मोदी सरकार में दो सेवारत मंत्री, तीन विपक्षी नेता, एक कंस्टिट्यूशनल ऑथरिटी, कई पत्रकार और बिजनेसमैन शामिल हैं. यह बताया गया कि डेटाबेस में देश भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों, राजनेताओं और असंतुष्टों के कम से कम 300 फोन नंबर शामिल थे.

9 जुलाई, 2021: केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के सभी ‘ओवर द टॉप आरोपों’ का सिरे से खारिज कर दिया. केंद्र सरकार ने इसे सनसनीखेज कहानी कहा., और कहा कि भारतीय लोकतंत्र और इसकी अच्छी तरह से स्थापित संस्थानों को बदनाम करने का प्रयास हो रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कहा कि संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले आने वाली रिपोर्टें संयोग नहीं हो सकतीं.

एनएसओ ग्रुप ने दावा किया कि जासूसी के आरोप झूठे और भ्रामक हैं. और कहा कि फॉरबिडन स्टोरीज की रिपोर्ट गलत धारणाओं और अपुष्ट थ्योरी पर है जो स्रोतों की विश्वसनीयता और हितों के बारे में गंभीर संदेह पैदा करती है. ऐसा लगता है कि ‘अज्ञात स्रोतों’ ने ऐसी जानकारी दी है जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और वास्तविकता से बहुत दूर है.

20 जुलाई, 2021: संसद के मानसून सत्र के दौरान, कांग्रेस ने पेगासस जासूसी विवाद में एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच की मांग की. कांग्रेस ने अन्य दलों के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाते हुए संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चलने दी.

22 जुलाई, 2021: सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर पेगासस स्पाइवेयर स्कैंडल में विशेष जांच दल (SIT) द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई. इसने “सभी आरोपी व्यक्तियों या मंत्रियों पर पेगासस खरीदने और भारत के नागरिकों पर जासूसी करने के लिए मुकदमा चलाने की भी मांग की. जिसमें राजनेता, पत्रकार और कार्यकर्ता शामिल हैं. बीजेपी के यह दावा किया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि जिन फोन नंबरों की निगरानी में संदिग्ध फोन नंबरों की लिस्ट सीधे तौर पर इजराइली कंपनी NSO समूह से संबंधित नहीं थी. वैश्विक मानवाधिकार ग्रुप ने एक बयान जारी कर “झूठी अफवाहों” और “गलत मीडिया कहानियों” को खारिज कर दिया. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह जांच के निष्कर्षों पर स्पष्ट रूप से खड़ा है.

23 जुलाई, 2021: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “देशद्रोह” का आरोप लगाया, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की, और पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके जासूसी के आरोपों की न्यायिक जांच की मांग की.

25 जुलाई, 2021: सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने एक विशेष जांच दल (SIT) द्वारा पेगासस स्पाइवेयर विवाद की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका में अदालत से आग्रह किया गया कि वह केंद्र को एक विशेष जांच दल के माध्यम से तत्काल जांच करने का निर्देश दे, जैसा कि 19 जुलाई को एक न्यूज वेबसाइट द्वारा खुलासा किया गया.

27 जुलाई, 2021: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इजरायली साइबर-खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर फोन की कथित निगरानी की जांच के लिए एक आयोग की घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस मदन बी लोकुर, और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति (रिटायर) ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.

29 जुलाई, 2021: 500 से अधिक व्यक्तियों और समूहों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना को पत्र लिखकर जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने भारत में इजरायली फर्म एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री, ट्रांसफर और उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की.

5 अगस्त, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली 8 याचिकाओं पर सुनवाई की. पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग के माध्यम से निगरानी के आरोपों को गंभीर बताते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि किसी ने एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की, अगर इस कारण से फोन हैक किया गया. आरोप पहली बार 2019 में सामने आए थे. पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी नहीं किया और इसके बजाय पक्षों से कहा कि वे पहले अपनी याचिकाओं की प्रतियां सरकारी वकील को दें, जिसके बाद वह 10 अगस्त को फिर से मामले की सुनवाई करेगी.

16 अगस्त 2021: केंद्र ने एक छोटा हलफनामा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि आरोप अनुमान और निराधार मीडिया रिपोर्टों पर आधारित थे.

17 अगस्त 2021: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया.

13 सितंबर 2021: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा.

27 अक्टूबर 2021: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट कमिटी नियुक्त की. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवींद्रन इसके कामकाज की देखरेख करेंगे.

17 दिसंबर 2021: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस केस में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच के लिए गठित पैनल को इस आधार पर रोक लगा दी क्योंकि इस केस की जांच टेक्निकल कमेटी पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कर रही है.


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