लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की गारंटी देने वाला महिला आरक्षण विधेयक मंगलवार को चल रहे विशेष सत्र के बीच नए संसद भवन की लोकसभा में पेश किया गया. इस विधेयक को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 128वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया है.
केंद्र सरकार ने इसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया है. इस महिला आरक्षण बिल का अर्थ ये है कि अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी. वर्तमान समय में लोकसभा में 82 महिला सदस्य हैं और अब बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें रिजर्व हो जाएंगी. इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा. यानी 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा.
क्या हैं महिला आरक्षण बिल की विशेषताएं?
यह विधेयक संसद के निचले सदन लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण को अनिवार्य बनाता है. संशोधन के अनुसार, लोकसभा में सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होगा. यह कदम राष्ट्रीय विधायिका में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए एक प्रयास है.
यह विधेयक अपने प्रावधानों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा तक विस्तारित करता है. अब दिल्ली विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए भी आरक्षित हैं. दिल्ली विधानसभा में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी गई कुल सीटों में से एक-तिहाई (अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों सहित) महिलाओं के लिए भी आरक्षित हैं.
संशोधन सभी भारतीय राज्यों की विधानसभाओं पर लागू होता है. इसमें कहा गया है कि लोकसभा और दिल्ली विधानसभा प्रावधानों के समान, लागू खंड के तहत आरक्षित कुल सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाएं भी शामिल होंगी.
विधेयक बताता है कि लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण से संबंधित प्रावधान परिसीमन अभ्यास के बाद लागू होंगे. इसमें कहा गया है, “इस भाग या भाग VIII के पूर्वगामी प्रावधान में किसी भी बात के बावजूद, लोक सभा, किसी राज्य की विधान सभा और राष्ट्रीय राजधानी की विधान सभा में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण से संबंधित संविधान के प्रावधान संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ होने के बाद की गई पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद इस उद्देश्य के लिए परिसीमन की कवायद शुरू होने के बाद दिल्ली क्षेत्र प्रभावी हो जाएगा और ऐसे प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति पर यह समाप्त हो जाएगा.’
यह विधेयक संसद द्वारा निर्धारित प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के रोटेशन की अनुमति देता है. इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा. 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा.

ऐसी हैं महिला आरक्षण बिल की 5 अहम बातें
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