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भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को ही क्यों बनाया राष्ट्रपति उम्मीदवार? जाने क्या है इसकी वजह

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भारतीय जनता पार्टी ने बीते दिन द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के लिए राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल और ओडिशा से आने वालीं आदिवासी नेता है. यदि मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. कई नामों पर चल रही चर्चा के बीच भाजपा ने झारखंड की नौंवी राज्यपाल रहीं 64 साल की द्रौपदी मुर्मु को ही राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार क्यों बनाया? भाजपा के इस दांव के पीछे राजनीतिक जानकार रणनीति तलाशने में जुटे हैं. माना जा रहा है कि भाजपा मुर्मू के सहारे आदिवासी समुदाय पर पकड़ को मजबूत करने का प्रयास किया है. इसी साल गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है.

वहीं अगर भाजपा की ओर से देखा जाए तो गुजरात में आदिवासी मतदाता कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं और गुजरात के चुनावों के बाद एमपी के चुनाव हैं, मध्यप्रदेश आदिवासी वोटरों के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, 2011 सेंसेस के मुताबिक़ एमपी आदिवासी आबादी का 21.5% है, मध्यप्रदेश में 2018 के चुनावों में बीजेपी को 47 एसटी के लिए रिजर्व सीटों में से 16 पर ही जीत मिली थी जबकि 2013 के चुनावों में यह आंकड़ा 31 था, मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 6 सीटें एसटी केस के लिए रिजर्व है. 2014 में भाजपा ने इन सभी सीटों पर जीत दर्ज कर ली थी, हालांकि बाद में हुए उपचुनाव में एक सीट पर कांग्रेस ने बाजी मार ली थी, 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने मध्यप्रदेश की सभी एसटी सीटों पर जीत दर्ज कर ली थी.

ऐसे में एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बिठाकर भाजपा आदिवासियों के सम्मान के रूप में पेश कर सकती है. पार्टी रणनीतिकारों को भरोसा है कि भाजपा को ओडिसा, झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में काफी फायदा हो सकता है.

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