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पेटीएम एक लिए एक और बुरी खबर, अब कोर्ट ने पेटीएम फास्टटैग पर लगाया जुर्माना

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बेगलुरु| ऑनलाइन पेमेंट कंपनी पेटीएम के दिन इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. बैंकिंग नियम कायदे का पालन नहीं करने के कारण आरबीआई ने पेटीएम के खिलाफ सख्त कदम उठाया है. पेटीएम को लेकर एक और खबर सामने आई है. एक शख्स के पेटीएम फास्टटैग में पर्याप्त बैलेंस थ, इसके बावजूद टोल पर राशि डिडक्ट नहीं हुई. इसके चलते शख्स को फाइन भरना पड़ा. पीड़ित शख्स ने पेटीएम के हेल्पलाइन नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज कराई. आरोप है कि कंपनी की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं दिया गया. शख्स ने फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब कोर्ट ने पेटीएम और इसके ऑपरेटर पर जुर्माना लगाया है.

दरअसल, यह मामला बेंगलुरु का है. कंज्यूमर कोर्ट ने पेटीएम और ऑपरेटर कंपनी पर जुर्माना लगाते हुए आदेश दिया है कि वह पीड़ित पक्ष को ब्याज समेत पैसे रिफंड करे और 10 हजार रुपये बतौर जुर्माना भी अदा करे. पेटीएम को वह राशि रिफंड करने का आदेश दिया गया है, जो टोल प्लाजा पर बतौर पेनाल्टी शख्स को भुगतान करना पड़ा था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बसावनगुड़ी निवासी हरिशेष ने 23 दिसंबर 2023 को पेटीएम से तीन फास्टटैग खरीदा था. अर्जी के मुताबिक, पेटीएम फास्टटैग फरवरी 2022 तक ठीक से काम करता रहा. उसी साल 13 फरवरी को एकफास्टटैग में दिक्कतें आने लगीं. पर्याप्त बैलेंस होने के बावजूदफास्टटैग में शून्य राशि दिखाने लगी.

पेटीएम फास्टटैग में समस्या सामने आने के बाद हरिशेष ने कंपनी में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन किसी तरह की मदद नहीं मिल सकी. इतना ही नहीं, टोल प्लाजा पर और ज्यादा पैसे कटने लगे. इसके बाद हरिशेष ने 24 मार्च 2022 को पेटीएम को कानूनी नोटिस भिजवाया. इसके बाद नवंबर 2022 को उन्होंने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट में कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. इसे पेटीएम के साथ ही ऑपरेटर कंपनी One97 कम्यूनिकेशंस लिमिटेड को भी पार्टी बनाया गया. हरिशेष ने अपने पैसे वापस मांगे थे.

पेटीएम की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने शिकायत को ही गलत ठहराने की कोशिश की थी. पेटीएम ने कोर्ट को बताया कि वह सिर्फ सर्विस प्रोवाइडर है. याची का अकाउंट ब्लॉक नहीं किया गया था. ऐसे मेंफास्टटैग को सही तरीके से काम करना चाहिए था. पेटीएम के वकील ने शिकायत को आधारहीन बताते हुए खारिज करने की मांग की थी. हालांकि, कंज्यूमर कोर्ट ने पेटीएम की दलीलों को ठुकराते हुए राशि रिफंड करने और पीड़ित को जुर्माना देने का आदेश दिया.



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