केंद्र सरकार मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में बड़े बदलाव पर विचार कर रही है. इसके तहत अंतिम वेतन का 40-45% तक न्यूनतम पेंशन मिल सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते अप्रैल माह में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की समीक्षा के लिए वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी.
केंद्र ने वर्ष 2004 से ओपीएस को समाप्त कर एनपीएस लागू किया था. इसके तहत पेंशन फंड में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10 तो सरकार 14% का योगदान देती है. एनपीएस की राशि को बाजार में निवेश किया जाता है और उसके रिटर्न के आधार पर पेंशन राशि निर्भर करती है. वहीं, ओपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन अंतिम वेतन का 50% है.
मौजूद पेंशन में कर्मचारियों को अंतिम वेतन का लगभग 38% तक पेंशन मिलती है. अगर सरकार 40% पेंशन सुनिश्चित करती है, तो उस पर 2% राशि का अतिरिक्त भार पड़ेगा. हालांकि, अगर बाजार में निवेश पर रिटर्न घटता है तो पेंशन के मद में सरकार पर बोझ बढ़ जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ऐसा रास्ता अपनाना चाहता है, जिसके तहत पेंशन का भार सरकार पर कम से कम पड़े. संभावना है कि सरकार जो पेंशन योजना लाएगी, उसे महंगाई भत्ते से नहीं जोड़ा जाएगा.
विपक्ष शासित राज्यों में पुरानी पेंशन लागू होने से बढ़ा दबाव : राजस्थान, पंजाब, झारखंड व हिमाचल प्रदेश में ओपीएस लागू करने की घोषणा के बाद केंद्र पर कोई दूसरी आकर्षक पेंशन योजना लाने का दबाव बढ़ गया है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र नई योजना की घोषणा कर सकता है.

एनपीएस में बड़े बदलाव पर विचार कर रही सरकार, 45 प्रतिशत तक मिल सकती है न्यूनतम पेंशन
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