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जुलाई 2020 के बाद निगेटिव हुई थोक महंगाई दर, जानिए क्या है इसका मतलब

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सांकेतिक फोटो

खुदरा महंगाई के बाद थोक महंगाई दर में भी गिरावट आई है. उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार होलसेल प्राइस इंडेक्स या डब्लूपीआई (WPI) पर आधारित थोक महंगाई दर मार्च 2023 में 1.34 फीसदी से सालाना आधार पर घट कर अप्रैल 2023 में (-) 0.92% रह गई. ये इसके करीब 3 सालों का सबसे निचला स्तर है.

बता दें कि थोक महंगाई का निगेटिव होना कोई बहुत स्थिति नहीं होती है, खास तौर से तब जब भारत की ग्रोथ में नरमी का दौर चल रहा है. एक तो महंगाई निगेटिव, दूसरे ग्रोथ का रेट कम होना, एक अच्छा ट्रेंड नहीं माना जाता है.

कोरोने के समय जुलाई 2020 के बाद पहली बार अप्रैल 2023 में थोक महंगाई दर निगेटिव हुई है. जुलाई 2020 में यह -0.58 फीसदी रही थी. अप्रैल में फूड प्राइस इंफ्लेशन मार्च के 2.32 प्रतिशत से घटकर 0.17 प्रतिशत रह गई. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की मुद्रास्फीति में 2.42 प्रतिशत की गिरावट आई है. ये निगेटिव जोन में और नीचे तक फिसल गई है, जबकि प्राइमरी आर्टिकल्स और ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति क्रमशः 1.6 और 0.9 प्रतिशत रही.

बता दें कि थोक महंगाई में लगातार 11वें महीने गिरावट आई है. हालांकि मासिक आधार पर मार्च से अप्रैल में इसमें कोई बदलाव नहीं आया. मार्च में यह घटकर 1.34 प्रतिशत रही थी, जो इसके 34 महीनों का सबसे निचला स्तर था. फरवरी में थोक महंगाई 3.85 फीसदी और जनवरी में 4.73 फीसदी रही थी.




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